पिछोर | जिला शिवपुरी राष्ट्रीय लोक अदालत केवल मुकदमों के निपटारे का मंच नहीं, बल्कि टूटे रिश्तों को जोड़ने की सशक्त व्यवस्था भी है—इसका जीवंत उदाहरण शनिवार को पिछोर न्यायालय परिसर में देखने को मिला, जहाँ वर्षों से विवादों, गंभीर आरोपों और कानूनी संघर्षों में उलझा एक दंपति लोक अदालत की मध्यस्थता से पुनः एक हो गया।
लोक अदालत का शुभारंभ और उपलब्धियाँ
राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारंभ प्रातः 10:30 बजे अध्यक्ष, तहसील विधिक सेवा समिति पिछोर एवं अतिरिक्त जिला न्यायाधीश श्री राजेश कुमार अग्रवाल द्वारा माँ सरस्वती के पूजन एवं दीप प्रज्वलन के साथ किया गया।
इस अवसर पर जिला न्यायाधीश श्री किशोर कुमार गहलोत, वरिष्ठ एवं कनिष्ठ न्यायाधीशगण, न्यायालय स्टाफ, विधिक सेवा कर्मचारी एवं सुलहकर्ता सदस्य उपस्थित रहे।
05 न्यायिक खंडपीठों का गठन
लंबित प्रकरण:
73 प्रकरण रेफर
70 प्रकरणों का निराकरण
₹25,59,708 की सेटलमेंट राशि
130 व्यक्ति लाभान्वित
प्री-लिटिगेशन प्रकरण:
1756 प्रकरण रेफर
304 प्रकरणों का निराकरण
₹40,51,790 की सेटलमेंट राशि
विवादों में उलझा दांपत्य जीवन
लोक अदालत में सबसे भावनात्मक और संवेदनशील मामला यशपाल अहिरवार (26 वर्ष) एवं उनकी पत्नी रजनी (24 वर्ष) से जुड़ा रहा। वर्ष 2019 में विवाह के पश्चात दोनों के बीच विवाद बढ़ते चले गए। दंपति की दो नाबालिग बेटियाँ—अन्नया (4 वर्ष) और रियांशी (4 माह) हैं।
यशपाल द्वारा हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 9 के अंतर्गत दाम्पत्य जीवन पुनर्स्थापना हेतु याचिका दायर की गई थी, जिसमें संपत्ति विवाद, झूठे आपराधिक मुकदमे और जहर देने जैसे अत्यंत गंभीर आरोप शामिल थे। पूर्व में दहेज प्रताड़ना सहित मामलों में न्यायालय द्वारा आवेदक को दोषमुक्त भी किया जा चुका था।
सुलह ने बदली कहानी
गंभीर आरोपों और वर्षों की कानूनी खींचतान के बावजूद लोक अदालत के मध्यस्थों, न्यायिक अधिकारियों और अधिवक्ताओं ने मामले को संवेदनशीलता से सुना और दोनों पक्षों को उनकी बेटियों के भविष्य का अहसास कराया।
परिणामस्वरूप, दोनों ने अपने सभी मतभेद भुलाकर सहमति से साथ रहने का ऐतिहासिक राज़ीनामा किया। प्रकरण क्रमांक 057/2025 (आर.सी.एच.एच.एम.) का सुखद अंत हुआ।
न्याय और मानवता का संगम
इस अवसर पर जिला न्यायाधीश श्री किशोर कुमार गहलोत, वरिष्ठ अधिवक्ता लेवन सिंह रजक, धनीराम गुप्ता सहित न्यायालय स्टाफ एवं कर्मचारीगण उपस्थित रहे। समझौते के क्षण में न्यायालय परिसर भावनात्मक वातावरण से भर गया।
प्रेरक संदेश
यह मामला सिद्ध करता है कि लोक अदालतें केवल न्याय प्रदान नहीं करतीं, बल्कि रिश्तों को बचाने और सामाजिक सौहार्द स्थापित करने में भी अहम भूमिका निभाती हैं। संवाद और सुलह, चाहे आरोप कितने ही गंभीर क्यों न हों, एक नई शुरुआत का मार्ग खोल सकते हैं।
