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1998 में जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने
  • 151168597 - RAJESH SHIVHARE 0 0
    06 Dec 2025 17:59 PM



1998 में जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने और ठीक छः दिन बाद दो वैज्ञानिक अब्दुल कलाम और चिदंबरम को अपने ऑफिस बुलाया। वाजपेयी ने धीमी आवाज मे पूछा क्या आप दोनों परमाणु परिक्षण के लिये तैयार है? दोनों ने हामी भरी तो वाजपेयी ने कहा कि बुद्ध पूर्णिमा की पूजन इस बार आप दोनों ही करेंगे।

परमाणु परिक्षण के लिये राजस्थान का पोखरण चुना गया, मटेरियल पूरा मुंबई मे रखा था। रात के दो बजे मुंबई मे सामान लोड करके एयरपोर्ट लाया गया, रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नाडीज पूरी रात नहीं सोये।

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यदि एक भी कन्टेनर फट जाता तो पूरा मुंबई शहर शमशान बन जाता, ये सामग्री मुंबई से जैसलमेर के रास्ते पोखरण साइट पहुंची। अमेरिकी सेटेलाइट से बचने के लिये टीम मुश्किल से चंद मिनट ही काम कर पाती थी।

हमारे वैज्ञानिको ने अपार कष्ट सहकर काम किया, अपार इसलिए कि उन्हें तपते रेगिस्तान मे सेना की भारी वर्दी पहननी पड़ी जिसके वे आदि नहीं थे।

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दिल्ली मुंबई मे रहे वैज्ञानिको को राजस्थान की गर्मी असहनीय थी, लेकिन बावजूद इसके काम शीघ्रता से किया गया। दूसरा डर यह भी था कि वाजपेयी की गठबंधन की सरकार बड़ी मुश्किल से चल रही थी।

ऐसे मे यदि सरकार गिर जाती तो ये परिक्षण फिर सालो पीछे हो जाता। आखिर 11 मई का दिन आया, उस दिन वाजपेयी, आडवाणी, जसवंत सिंह और जॉर्ज फर्नाडीज प्रधानमंत्री आवास पर एकदम शांत बैठे थे।

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दिल्ली के गरम माहौल से दूर पोखरण मे आखिर परमाणु परिक्षण हुआ, धरती डोल गयी, दो फुटबाल मैदान के बराबर का गड्ढा हो गया। कलाम और चिदंबरम को चक़्कर आने लगे दोनों ने एक दूसरे को संभाला और बाहर आये।

वैज्ञानिको ने जैसे ही चिदंबरम और कलाम को देखा तो भारत माता की जय का नारा लगाना शुरू कर दिया, कलाम और चिदंबरम हर नारे पर जय बोल रहे थे। दिल्ली खबर आयी तो चारो नेता रो पड़े मगर किसी ने किसी को बधाई नहीं दी।

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इसके बाद वाजपेयी का वो 15 आवर्स 45 मिनट वाला भाषण इतिहास लिख गया, 13 मई को फिर दो धमाके किये गए और वाजपेयी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा "अब भारत परमाणु शक्ति बन चुका है"

लेकिन इसके तुरंत बाद अमेरिका के प्रतिबंधों की बारिश शुरू हो गयी, जापान ने भारत के सारे बॉन्ड फ्रीज कर दिये, कनाडा ने तो अपने डिप्लोमेट तक बुलाने का फैसला कर लिया। संयुक्त राष्ट्र तक मुद्दा गया।

                  

ब्रिटेन, फ़्रांस और रूस ने इस पर किसी भी प्रकार की बात करने से मना कर दिया, हालांकि ब्रिटेन राष्ट्रीय स्तर पर भारत के खिलाफ था मगर संयुक्त राष्ट्र मे उसने चुप्पी साधकर भारत का साथ दिया।

देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले ऐसे महान लोगों को शत शत नमन 

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