डिजिटल स्पेस पर महिला सुरक्षित महसूस करे, हर महिला को यह अधिकार मिलना है जरुरी।
वाराणसी। डिजिटल स्पेस पर हर महिला सुरक्षित महसूस करे यह अधिकार हर महिला को मिलना चाहिए इस विषय पर वाराणसी में इब्तिदा नेटवर्क ने एक राज्यस्तरीय बैठक का आयोजन किया। जिसमें उत्तरप्रदेश और बिहार की 11 साथी संस्थाओं के साथियों ने प्रतिभाग किया जो नारीवादी विचारधारा के साथ काम करती हैं। बैठक में वाराणसी के साइबर क्राइम से आये गोपाल कुशवाहा ने बताया कि आजकल डिजिटल स्कैम तेजी से बढ़ रहा है जिसमें डिजिटल अरेस्ट के मामले सबसे ज्यादा आ रहे हैं। इन्वेस्टमेंट स्कैम, लोन स्कैम, नौकरी स्कैम, लॉटरी स्कैम और फेक पेमेंट जैसे कई तरीकों से लोगों को फसाया जा रहा है।उन्होंने आगे कहा, "इस तरह के स्कैम में आपके अकाउंट से जा चुके पैसे मिलना बहुत मुश्किल होता है यह भी कह सकते हैं कि मिलने की उम्मीद न के बराबर होती है। हम लोग स्कूल, कॉलेज और पंचायतों में जाकर लोगों को इस स्कैम से बचने के लिए जागरूक करते हैं। डिजिटल अरेस्ट में फंसाकर आपके खाते से पैसे वसूले जाते हैं। अगर आप एक बार डिजिटल अरेस्ट हो गए तो उससे निकलना काफी मुश्किल होता है।"इब्तिदा नेटवर्क एक नारीवादी विचारधारा का संगठन है जिसकी स्थापना वर्ष 2019 मे हुई। इस संगठन में उत्तर प्रदेश और बिहार के 11 साथी संस्थाएं जुड़ी हैं जो नारीवादी विचारधारा के द्वारा महिला सशक्तिकरण एवं विकास के लिए प्रयत्नशील हैं। इब्तिदा नेटवर्क के विभिन्न साथी अपने जिलों मे जेंडर आधारित हिंसा के खिलाफ, महिलाओं एवं किशोरियों की गतिशीलता, उनके अधिकार एवं पहचान व यौनिकता जैसे तमाम मुद्दों को लेकर पहल कर रही हैं। इब्तिदा नेटवर्क से जुड़ी वाराणसी से बिंदु सिंह ने बताया, "इब्तिदा नेटवर्क की कोशिश है कि एक विचारधारा के नारीवादी संगठन एकजुट होकर जरूरी मुद्दों पर पहल करें। हमारी कोशिश है कि ऑनलाइन दुनिया में भी महिलाओं की सुरक्षा और स्वायत्तता का हक और अधिकार मिले।" इस राज्यस्तरीय आयोजन में इब्तिदा नेटवर्क से जुड़ी बिहार की महिलाओं ने एक जोशीला गीत गाया। कुछ अनुभवी साथियों का एक पैनल डिस्कशन हुआ जिसमें डॉ संजय, क्रिया से बबिता, पद्मा, कुमुद रंजन शामिल थीं पैनल को मॉडरेट दिपाली ने किया। डॉ संजय ने कहा, " जो मर्दानगी सोच है वो महिला और पुरूष दोनों में हो सकती है। वही सोच पितृसत्ता खड़ा करता है। सार्वजनिक जगहें पुरुषों के द्वारा हमेशा से डोमिनेट रही हैं जहां महिलाएं सुरिक्षत महसूस नहीं करती। डिजिटल दुनिया में सिर्फ महिलाओं और लड़कियों को परेशान नहीं किया जाता बल्कि ट्रांसजेंडर को भी काफी हैरिस किया जाता है। डिजिटल दुनिया को सुरिक्षत करने के लिए बहुत सारे एप आये हैं जिनके बारे में सबको बताना बहुत जरूरी है।" कुमुद रंजन ने कहा कि डिजिटल सुरक्षा पूरे देश का मुद्दा है। सबसे ज्यादा महिलाएं प्रभावित होती हैं। ग्रासरूट की समस्याएं डिजिटल रूप से उठाना बहुत जरुरी है पर उसमें ट्रोलिंग न हो इसकी जिम्मेदारी जिम्मेदार अधिकारी जरूर उठाएं। अंत में क्रिया से आईं बबिता ने कहा, "इब्तिदा की यह उत्तरप्रदेश में पहली राज्यस्तरीय बैठक है। हर वर्ष पूरी दुनियां में 25 नवंबर से 10 दिसंबर तक 16 दिवसीय एक कैम्पेन चलाया जाता है जिसकी थीम भी इस बार डिजिटल सुरक्षा को लेकर है। मोबाइल एक शक्तिशाली टूल है जिसका उपयोग महिलाओं को आत्मनिर्भर भी बना रहा है। अगर कोई महिला गांव में रहकर एक रील के माध्यम से अपना मैसेज आगे बढ़ाती है और वो रील खूब चल जाती है तो वो उसकी फ्रीडम है उस महिला की सुरक्षा जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही है।इस राज्यस्तरीय बैठक में करीब 60 लोग शामिल थे जिसमें बाल संरक्षण अधिकारी, बाल कल्याण समिति, साइबर क्राइम सेल, क्रिया और इब्तिदा नेटवर्क के लोग शामिल थे। इस कार्यशाला को लेकर यदि आपको किसी प्रकार की अन्य जानकारी या स्पष्टता की आवश्यकता हो तो आप बेझिझक इस नंबर पर बात कर सकते है। रविन्द्र गुप्ता 151009219

