जनसंख्या प्रतिनिधित्व और परिसीमन पर केन्द्रित है यह पुस्तक
वाराणसी । जनसंख्या प्रतिनिधित्व और परिसीमन पर केन्द्रित पुस्तक 'डेमोग्राफी रिप्रजेंटेशन डीलिमीटेशन द नार्थ साउथ डिवाइड इन इंडिया' का विमोचन जगतगंज कोठी में लेखर्क श्री रविकांत मिश्रा, विधि विशेषज्ञ प्रो. श्री अखिलेन्द्र पाण्डेय, राजनीति विज्ञान की प्राध्यापिका सुश्री प्रियंका झा, जगतगंज राजपरिवार रिसर्च कमेटी के संरक्षक श्री प्रदीप नारायण सिंह जी ने किया ।
1976 ईस्वी में इमरजेंसी के दौरान हुए 42 वे संविधान संशोधन के दौरान, 25 वर्षों के लिए स्थगित किये गये परिसीमन को 2001 में पुनः 25 वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया जो 2026 में पूरा हो रहा है। दिन नजदीक आते ही इस मुद्दे पर उत्तर और दक्षिण भारत में एक विवाद को पुनर्जन्म दे दिया है। दक्षिण भारत के प्रतिनिधियों का मानना है कि इस नये परिसीमन में भी अगर जनसंख्या को ही आधार माना गया तो दक्षिण भारत के साथ अन्याय होगा और उत्तर भारत को लाभ मिलेगा क्युकि उत्तर भारत ने अपने जनसंख्या पर नियंत्रण नहीं किया जबकि दक्षिण भारत ने अपने जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाई है। इस पुस्तक के माध्यम से श्री रविकांत मिश्रा ने 150 वर्षों के जनगणना आकड़ी से ये दिखाने का प्रयास किया है कि दक्षिण भारत का यह दावा उचित नहीं है कि इसने अपने जनसंख्या को नियंत्रित किया है वास्तविकता में हुआ ये है कि दक्षिण आरत ने अपनी जनसंख्या वृद्धि लगभग 1970 ई. से पहले ही कर लिया जबकि उत्तर भारत में ये घटना लगभग 1970 ई. के बाद हुई।
इस अवसर पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग के प्राध्यापक और महामना अभिलेखागार के संरक्षक श्री ध्रुब कुमार सिंह ने लेखक और प्रधानमंत्री म्यूजियम और लाइब्रेरी (PMML) के जॉइंट डायरेक्टर श्री रविकांत मिश्रा का स्वागत अभिभाषण किया। तत्पश्चात लेखक ने पुस्तक. का सार रखा। श्री अखिलेन्द्र पाण्डेय जी और सुश्री प्रियंका झा जी ने पुस्तक के ऊपर अपने विचार रखे। और अंत में जगतगंज राजपरिवार रिसर्च कमेटी के संरक्षक श्री प्रदीप नारायण सिंह जी ने धन्यवाद जापन किया । इस पुरे कार्यक्रम का संचालन श्री अशोक जी कर रहे थे। कार्यक्रम में काफी संख्या से शिक्षक, विद्यार्थी, शोधार्थी और अन्य प्रबुद्ध लोग शामिल हुए ।। रविन्द्र गुप्ता
