फास्ट न्यूज इंडिया यूपी प्रतापगढ़। अशोक कुमार केसरवानी धर्मपत्नी अंजनी केसरवानी एवं शोभित केसरवानी जी के सानिध्य में चल रही छठवें दिवस की भागवत कथा में अंतर्राष्ट्रीय कथा व्यास आचार्य राधेश शास्त्री जी ने बताया कि कुंदनपुर के राजा हैं जिनका नाम है भीष्मक। पांच पुत्रों के बाद भी कोई पुत्री नहीं होने के कारण मन में बड़ी बेचैनी थी बड़ी तपस्या करी और समुंद्र में कमल के फूल पर उन्हें एक सुंदर सी नन्ही बालिका मिल गई उसी का नाम रुक्मिणी रखा। रुक्मिणी लक्ष्मी हैं और लक्ष्मी किसी के गर्भ में वास नहीं करतीं। उस कन्या को लेकर राजा भीष्मक महल में आए और अपनी रानी शुद्धमती को सौंपकर अति प्रसन्न हुए। दुर्वासा जी के श्राप के कारण कृष्ण-रुक्मिणी के साथ द्वारिका में तो रह नहीं सकते थे, इसलिए माधवपुर में विवाह की विधि संपन्न हुई। ब्रम्हा जी ने विवाह की विधि का मुहूर्त मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को दिया, और बड़ी धूम-धाम से रुक्मिणी जी का विवाह संपन्न हुआ। हजारों की संख्या में सभी भक्तों ने धूमधाम से फूलों की होली और डांडिया नृत्य कर झूम उठे। और भागवत कथा का संचालन कर रहे विनोद पांडेय (गुड्डू) ने आचार्य राधेश महाराज जी को माल्यार्पण और साफा पहनाकर आशीर्वाद प्राप्त किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में रामबाबू केसरवानी, मानिकचंद्र केशरवानी, ओमप्रकाश केसरवानी, अशोक कुमार केसरवानी, अंजनी केसरवानी, विपिन केसरवानी, नवीन केसरवानी, शुभम केसरवानी, विनोद केसरवानी (महुली) आदि गणमान्य कथा श्रवण हेतु उपस्थित रहे। रिपोर्ट विशाल रावत 151019049
