EPaper LogIn
एक बार क्लिक कर पोर्टल को Subscribe करें खबर पढ़े या अपलोड करें हर खबर पर इनकम पाये।

समाज को जागृत करने का आध्यात्मिक अभियान है धीरेंद्र शास्त्री की पदयात्रा-श्रीमहंत रविंद्रपुरी पुरी
  • 151008265 - KUMARI MANOJ SINGH 0 0
    15 Nov 2025 18:21 PM



हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि बागेश्वर धाम के परमाध्यक्ष धीरेंद्र शास्त्री की पदयात्रा केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, अपितु समाज को जागृत करने का एक आध्यात्मिक अभियान है। पदयात्रा में शामिल होने वृन्दावन पहुंचे श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि धीरेन्द्र शास्त्री की यह पदयात्रा संदेश देती है कि धर्म केवल मंदिरों में नहीं, बल्कि मार्गों पर भी चलता है। साधना केवल आसन पर नहीं, बल्कि कदम ताल से भी होती है। उन्होंने कहा कि अखाड़ा परिषद सदैव ऐसे संतों का सम्मान करता है, जो समाज में प्रकाश फैलाने का कार्य करते हैं। धीरेन्द्र शास्त्री ने अपने तप, ज्ञान और विनम्रता से यह सिद्ध किया है कि सच्चा संत वही है, जो समाज के बीच जाकर समाज की पीड़ा को समझे। उनकी पदयात्रा का उद्देश्य केवल स्थान-स्थान पर जाना नहीं है। बल्कि हर मनुष्य के हृदय तक पहुँचना, युवा पीढ़ी में संस्कारों का संचार करना और समाज को धर्म, सत्य और सदाचार की राह दिखाना है। श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने कहा कि आज जब संसार भौतिकता की ओर भाग रहा है, तब ऐसे संतों का आगे आना अत्यंत आवश्यक है। यदि संत ही आगे बढ़कर समाज में व्याप्त बुराइयों का विरोध नहीं करेंगे तो कौन करेगा। पदयात्रा हमें अनुशासन सिखाती है, धैर्य सिखाती है और यह बताती है कि छोटे-छोटे कदम भी बड़े परिवर्तन ला सकते हैं। धीरेन्द्र शास्त्री के हर कदम में लोककल्याण की भावना निहित है। धीरेंद्र शास्त्री को आशीर्वाद देते हुए अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि ईश्वर उन्हें शक्ति और स्वास्थ्य प्रदान करें। जिससे समाज सेवा का यह दिव्य कार्य निरंतर आगे बढ़ता रहे। उन्होंने भक्तों से धर्म, शांति और समृद्धि के मार्ग पर अग्रसर होने के लिए यात्रा के साथ जुड़ने आह्वान भी किया। भारत माता मंदिर के महंत महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी ने भी धीरेद्र शास्त्री को शुभकामनाएं दी और कहा कि उनकी पदयात्रा अवश्य ही समस्त हिंदू समाज को जोड़ने का काम करेगी। रिपोर्ट मनोज सिंह 151008265



Subscriber

188155

No. of Visitors

FastMail