मध्य प्रदेश के बानमोर में बाबा राम खिलावन दास के सान्निध्य में पिछले पाँच दिनों से चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा में कथा वाचक पंडित शिवाजी महाराज भगवान श्रीकृष्ण की अलौकिक बाल लीलाओं का वर्णन कर रहे हैं।
कथा के दौरान पंडित शिवाजी महाराज ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बाल लीलाओं से ग्वाल–वासी जनता को न केवल आनंदित किया बल्कि उनके जीवन में समृद्धि भी लाई। उन्होंने कहा कि भगवान की ‘माखन-चोरी’ जैसी लीलाएँ वस्तुतः भक्तों के मन की चोरी का प्रतीक हैं, जो भगवान के प्रेम को दर्शाती हैं। पंडित जी के मधुर वर्णन से उपस्थित श्रोता भावविभोर हो उठे और कथा स्थल भक्तिरस से सराबोर हो गया।
कथा में कंस द्वारा भेजी गई राक्षसी पूतना का प्रसंग भी सुनाया गया, जिसमें वह अपने भेष बदलकर भगवान को विष-पान कराने का प्रयास करती है, परंतु श्रीकृष्ण उसके प्राण हरकर उसका उद्धार करते हैं।
इसके साथ ही कार्तिक माह में होने वाली गोवर्धन लीला का भी विस्तार से वर्णन किया गया। पंडित शिवाजी महाराज ने बताया कि जब ब्रजवासी इंद्र की पूजा की तैयारी कर रहे थे, तब भगवान कृष्ण ने उन्हें इंद्र की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का आग्रह किया। इससे क्रोधित होकर इंद्रदेव ने गोकुल पर प्रचंड वर्षा बरसाई, जिसे रोकने हेतु भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर सभी ब्रजवासियों की रक्षा की और इंद्र का घमंड भी दूर किया। बाद में इंद्रदेव ने भगवान से क्षमा याचना की।
गोवर्धन पूजा परंपरागत रूप से 56 भोग (छप्पन भोग) के साथ संपन्न की जाती है। देखे राम लखन की रिपोट 151173848
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