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छठ की खास पहचान है इसमें बनने वाला प्रसाद, नहाय-खाय से लेकर पारण तक; बनाए जाते हैं ये पकवान
  • 151000001 - PRABHAKAR DWIVEDI 987 66655
    27 Oct 2025 21:57 PM



नई दिल्ली। चार दिवसीय साधना है छठ। इस अवधि में ग्रहण किया जाने वाला आहार व व्यंजन छठ व्रत के लिए शारीरिक व मानसिक तैयारी का अंग माना गया है।  इन्हें तैयार करने की विधि बाहर से सरल लग सकती है पर जिस आस्था व शुचिता से ये तैयार किए जाते हैं उसमें बड़ा श्रम लगता है। जैसे, आटा, चावल आदि जिनसे प्रसाद व व्यंजन तैयार होते हैं उन्हें घर पर ही धोया, सुखाया व पीसा जाता है। हालांकि यह परंपरा अब कम हो गई है। अब लोग आस-पास की आटा-चक्की से आटा पिसवाते हैं। हां, चक्की की शुचिता सुनिश्चित की जाती है। कम मात्रा में प्रसाद तैयार करना हो तो घर में मिक्सी का प्रयोग कर लेते हैं। अब तो बाजार में छठ सामग्री व सामान की सहज सुलभता है। इसलिए छठ का प्रसाद व व्यंजन तैयार करने के लिए मिट्टी के चूल्हे आसानी से मिल जाते हैं।

हर दिन का अलग स्वाद

छठ के पहले दिन से अंतिम दिन तक तैयार किए जाने वाले पकवान व प्रसाद में लोकजीवन के सहज दर्शन मिलते हैं। चार दिवसीय आयोजन के पहले दिन यानी नहाय खाय पर लौकी-चने की दाल, कद्दू की सब्जी और चावल खाने की परंपरा है। दूसरे दिन यानी खरना पर दिनभर निर्जला व्रत रखा जाता है। इसके बाद सायंकाल गुड़ की खीर, रोटी, पूरी को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। तीसरे दिन घर के सदस्य सामूहिक रूप से छठ का प्रसाद तैयार करते हैं। इसका सुंदर पहलू यह है कि ये पकवान छठ के लोकगीतों के साथ बनते हैं। इनमें ठेकुआ, दरदरे मोटे गेहूं के आटे व गुड़, मेवे, देसी घी आदि से तैयार पकवान, कसार यानी चावल, दूध, गुड़ आदि से बने लडडू, गुझिया जिसे बिहार के कई प्रांतों में ‘पिरुकिया’ कहा जाता है, ऐसे कई व्यंजन शामिल होते हैं।

रसिया रस भरा

खरना का विशेष प्रसाद है रसिया। इसे रसियाव या गुड़ की खीर भी कहा जाता है। यह सामान्य खीर से अलग होती है। चावल, गुड़ और दूध से बनी इस खीर में गुड़ गाढ़ी, कैरेमल जैसी मिठास जोड़ता है। प्राय: यह खीर मिट्टी के चूल्हे पर पकाई जाती है इसलिए इसका स्वाद जितना समृद्ध होता है, उतना ही सुकून भरा होता है। इसे तैयार करने के लिए चावल को पानी में 15-20 मिनट के लिए भिगो दिया जाता है। मोटे तले वाली कढ़ाई में दूध को उबालकर भीगे चावल डाले जाते हैं। धीमी आंच पर चावल नरम व दूध गाढ़ा होने तक पकाया जाता है। एक कटोरी में गुड़ को घुलने दिया जाता है और खीर पकाकर इसे हल्का ठंडा होने के बाद गुड़ का पानी ऊपर से डालकर अच्छी तरह मिलाया जाता है।

पारण के लिए

सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती पारण करते हैं। यह न केवल व्रती बल्कि सबके लिए खास होता है। इसका कारण है इस दौरान बनने वाले व्यंजन। परिवार के लोग व्रती के लिए ये व्यंजन तड़के ही तैयार करने लगते हैं। इन व्यंजनों में टमाटर-हरा चना की सब्जी व कढ़ी-बाटी, कोहड़े की सब्जी, लाल साग, पकौड़ा आदि खूब पसंद किए जाते हैं। व्रती, परिवार के सभी सदस्यों के साथ इन्हें ग्रहण करते हैं। बता दें कि छठ के अंतिम दिन तड़के ही रसोई में व्रतियों के पारण के लिए तैयार किए जाने वाले व्यंजनों से उठने वाली महक की अपनी महत्ता है। दरअसल, इससे यह आभास हो जाता है कि अब छठ पर्व का समापन हो गया है, लेकिन यह भी कि छठ के लिए अगले वर्ष की प्रतीक्षा का अंत नहीं हो सकता!

 

 



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