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पूरन कुमार ने IPS और IAS अधिकारियों पर क्या-क्या आरोप लगाए? सुसाइड नोट में खुलासा
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    10 Oct 2025 07:23 AM



 चंडीगढ़। हरियाणा के आईपीएस वाई पूरन कुमार की आत्महत्या (IPS Puran Kumar suicide case) के हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारणिया समेत सुसाइड नोट में शामिल 14 अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।

इन अधिकारियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 108(आत्महत्या के लिए उकसाना), 3(5), 3(1)(आर) और एससी एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है। आइए जानते हैं कि आईपीएस पूरन कुमार ने अपने सुसाइड नोट में इन अधिकारियों के खिलाफ क्या-क्या आरोप लगाए हैं।

मृत्यु शैया पर पड़े पिता को नहीं मिल सका

यह जाति-आधारित भेदभाव, सार्वजनिक अपमान, मानसिक उत्पीड़न और अत्याचार की शुरुआत तत्कालीन डीजीपी मनोज यादव ने शुरू किया। मैं 2020 में अंबाला में एक पुलिस स्टेशन के मंदिर में गया था। तत्कालीन एसीएस गृह राजीव ने भी साथ नहीं दिया। तत्कालीन एसीएस ने मेरे पिता के निधन से ठीक पहले मुझे अंतिम बार उनसे मिलने के लिए अर्जित अवकाश भी स्वीकृत नहीं किया। यह बात तत्कालीन मुख्य सचिव को लिखित में बताई। मनोज यादव के बैचमेट टीवीएसएन प्रसाद (तत्कालीन एसीएस होम) व पीके अग्रवाल (तत्कालीन डीजीपी) का यही रवैया रहा।

अनिल विज की अध्यक्षता में बैठक भी हुई

मेरे आवेदनों और शिकायतों को लेकर तत्कालीन गृह मंत्री अनिल विज की अध्यक्षता में नवंबर 2023 में बैठक हुई। एसीएस होम टीवीएसएन प्रसाद, डीजीपी शत्रुजीत कपूर शामिल थे। कार्रवाई नहीं हुई। 1996 बैच के आईपीएस डॉ. एम रवि किरण ने भी मेरा सार्वजनिक मजाक उड़ाया।

खिरवार-कविराज ने फंसाने की कोशिश की

1994 बैच की आईपीएस कला रामचंद्रन ने पंचकूला में आधिकारिक आवास आवंटित करते समय अतिरिक्त नियम केवल मुझ पर लागू किए। 1995 बैच के आईपीएस संदीप खिरवार जो उस वक्त गुरुग्राम में पुलिस कमिश्नर और आईपीएस शिबास कविराज जो ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर थे, दोनों ने झूठे मामलों में फंसाने की कोशिश की।

आईजी ने फोन पर धमकाया

आईपीएस आईजी एचपीए कुलविंद्र सिंह ने नवंबर 2024 में मुझे टेलीफोन पर धमकाया। कहा कि डीजीपी ने आदेश दिया है कि एक पुलिस अधिकारी को अस्थायी रूप से मेरे साथ संलग्न किया जाए, जिसे मैंने इनकार कर दिया था।

गुमनाम शिकायतें कर मेरे विरुद्ध साजिश रची

2007 के आईपीएस आईजी पंकज नैन आईपीएस अमिताभ ढिल्लों के साथ मेरे खिलाफ निराधार और दुर्भावनापूर्ण गुमनाम शिकायतें उत्पन्न करने की साजिश में एक सक्रिय साथी थे।

सार्वजनिक रूप से सम्मान को नुकसान पहुंचाया

तत्कालीन डीजीपी मनोज यादव, तत्कालीन एसीएस होम राजीव अरोड़ा ने मेरी प्रतिष्ठा और सम्मान को सार्वजनिक रूप से नुकसान पहुंचाया। मनोज यादव, पीके अग्रवाल और टीवीएसएन प्रसाद तीनों 1988 के बैचमेट रहे। मनोज यादव मुख्य साजिशकर्ता थे, जबकि बाकी बैचमेट साजिश का सक्रिय हिस्सा थे।

आरटीआई लगाने की वजह से साजिश रची

1997 बैच के आईपीएस अमिताभ ढिल्लों जो एडीजीपी रहे, उन्होंने मेरे खिलाफ आरटीआई के तहत जानकारी मांगने के लिए कार्रवाई शुरू करने की साजिश रची। वह नवंबर 2023 में आईजीपी टेलीकाम के पद पर मेरे स्थानांतरण के पीछे मुख्य भूमिका में थे। ढिल्लों ने शरारतपूर्ण और दुर्भावनापूर्ण तरीके से वेतन बचत के आधार पर संदिग्ध प्रविष्टियों के बारे में पूछताछ भी की।

एडीजीपी ने सूचनाओं में हेर-फेर किया

1997 बैच के आईपीएस अधिकारी संजय कुमार जो पुलिस मुख्यालय में प्रमुख पदों पर तैनात रहे, उन्होंने सूचनाओं में हेरफेर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे मुझे सार्वजनिक रूप से नुकसान और अपमान हुआ।

राजेश खुल्लर से जगी न्याय की उम्मीद

मैं 15 नवंबर 2024 को राजेश खुल्लर, आईएएस (सेवानिवृत्त) से उनके कैंप कार्यालय में मिला। अपने खिलाफ चल रहे भेदभाव, मानसिक उत्पीड़न, सार्वजनिक अपमान और अत्याचारों को बंद कराने का अनुरोध किया। खुल्लर को दस्तावेजी साक्ष्य दिखाए तो उन्हें विश्वास हो गया।

अब अत्याचार बर्दाश्त नहीं

डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजराणिया के माध्यम से मुझे परेशान किया गया। मेरी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया गया। मैं इस भेदभाव, सार्वजनिक अपमान, लक्षित मानसिक उत्पीड़न और अत्याचारों को अब और बर्दाश्त नहीं कर सकता।

वसीयत में खोली प्रॉपर्टी डिटेल

पूरन कुमार ने अपनी आईएएस पत्नी अमनीत पी कुमार ने नाम पर सारी संपत्ति करने के लिए वसीयत लिखी है। यह वसीयत एक दिन पहले छह अक्टूबर को बनाई गई थी। इसमें एचडीएफसी बैंक में अकाउंट, डीमैट शेयर, चंडीगढ़ सेक्टर 11 स्थित कोठी में 25 फीसद हिस्सा, मोहाली में प्लॉट और गुरुग्राम में ऑफिस की प्रॉपर्टी शामिल है।



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