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बाप_और_बेटी_का_रिश्ता
  • 151187418 - RAVINDRA SINGH 1 1
    28 Sep 2025 00:17 AM



शुभ संध्या

 

बाप_और_बेटी_का_रिश्ता 

 

बेटी की विदाई के वक्त बाप ही सबसे आखिरी में रोता है, क्यों, चलिए आज आप विस्तारित रूप से समझिए।

 

बाकी सब भावुकता में रोते हैं, पर बाप उस बेटी के बचपन से विदाई तक के बीते हुए पलों को याद कर करके रोता है।

 

माँ_बेटी के रिश्तों पर तो बात होती ही है, पर बाप और बेटी का रिश्ता भी समुद्र से गहरा है।

 

हर बाप घर के बेटे को गाली देता है, धमकाता और मारता है, पर वही बाप अपनी बेटी की हर गलती को नकली दादागिरी दिखाते हुए, नजर अंदाज कर देता है।

 

बेटे ने कुछ मांगा तो एक बार डांट देता है, पर अगर बिटिया ने धीरे से भी कुछ मांगा तो बाप को सुनाई दे जाता है और जेब में रूपया हो या न हो पर बेटी की इच्छा पूरी कर देता है।

 

दुनिया उस बाप का सब कुछ लूट ले तो भी वो हार नही मानता, पर अपनी बेटी के आंख के आंसू देख कर खुद अंदर से बिखर जाए उसे बाप कहते हैं।

 

और बेटी भी जब घर में रहती है, तो उसे हर बात में बाप का घमंड होता है। किसी ने कुछ कहा नहीं कि वो बेटी तपाक से बोलती है, "पापा को आने दे फिर बताती हूं।"

 

बेटी घर में रहती तो माँ के आंचल में है, पर बेटी की हिम्मत उसका बाप रहता है।

 

बेटी की जब शादी में विदाई होती है तब वो सबसे मिलकर रोती तो है, पर जैसे ही विदाई के वक्त कुर्सी समेटते बाप को देखती है, जाकर झूम जाती है, और लिपट जाती है, और ऐसे कसके पकड़ती है अपने बाप को जैसे माँ अपने बेटे को। क्योंकि उस बच्ची को पता है, ये बाप ही है जिसके दम पर मैंने अपनी हर जिद पूरी की थी।

 

खैर बाप खुद रोता भी है, और बेटी की पीठ ठोक कर फिर हिम्मत देता है, कि बेटा चार दिन बाद आ जाऊँगा, तुझको लेने और खुद जान बूझकर निकल जाता है, किसी कोने में और उस कोने में जाकर वो बाप कितना फूट फूट कर रोता है, ये बात सिर्फ एक बेटी का बाप ही समझ सकता है।

 

जब तक बाप जिंदा रहता है, बेटी मायके में हक़ से आती है और घर में भी ज़िद कर लेती है और कोई कुछ कहे तो डट के बोल देती है कि मेरे बाप का घर है। पर जैसे ही बाप मरता है और बेटी आती है तो वो इतनी चीत्कार करके रोती है कि, सारे रिश्तेदार समझ जाते है कि बेटी आ गई है।

 

और वो बेटी उस दिन अपनी हिम्मत हार जाती है, क्योंकि उस दिन उसका बाप ही नहीं उसकी वो हिम्मत भी मर जाती हैं।

 

आपने भी महसूस किया होगा कि बाप की मौत के बाद बेटी कभी अपने भाई- भाभी के घर वो जिद नहीं करती जो अपने पापा के वक्त करती थी, जो मिला खा लिया, जो दिया पहन लिया क्योंकि जब तक उसका बाप था तब तक सब कुछ उसका था यह बात वो अच्छी तरह से जानती है। 

 

आगे लिखने की हिम्मत नहीं है, बस इतना ही कहना चाहता हूं कि बाप के लिए बेटी उसकी जिंदगी होती है, पर वो कभी बोलता नहीं, और बेटी के लिए बाप दुनिया की सबसे बड़ी हिम्मत और घमंड होता है, पर बेटी भी यह बात कभी किसी को बोलती नहीं है। 

 

बाप_बेटी का प्रेम समुद्र से भी गहरा है।

       

जय श्री कृष्णा



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