दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। इस दिन रावण दहन कर हम बुराई को दूर करने का संदेश देते हैं। रावण के कई नकारात्मक पहलु थे। रावण के अंदर अहंकार, क्रोध और स्त्रियों का अनादर करने के अवगुण थे। इसके कारण ही प्रभु श्रीराम ने रावण का वध किया था। लेकिन रावण में कई खूबियां भी थीं। वह ज्ञानी, सबसे बड़े शिव भक्त, पराक्रमी, एक सशक्त कला प्रेमी और प्रशासक थे। रावण को केवल रामायण में एक खलनायक की तरह देखना सही नहीं हैं। रावण सिर्फ नकारात्मक पात्र ही नहीं था, बल्कि उनके कुछ ऐसे गुण भी थे जिनसे जीवन में प्रेरणा ली जा सकती है।दशहरे का भी यही असली संदेश है बुराई का दहन और अच्छाई को आत्मसात करना। आइए जानते हैं रावण के 5 गुण और उनसे हमें क्या सीखना चाहिए।
रावण के 5 गुण और उनसे सीख
अद्वितीय विद्वान और वेदों का ज्ञाता
रावण वेदों, शास्त्रों और ज्योतिष का महान विद्वान थे। रावण ने ही शिव तांडव स्तोत्र जैसा अद्भुत ग्रंथ लिखा। हमें उनकी इस खूबी को अपनाते हुए ज्ञान अर्जन और विद्या के प्रति सम्मान की सीख लेनी चाहिए।
शिव का परम भक्त
रावण भोलेनाथ के अनन्य उपासक थे। उनकी भक्ति और साधना आज भी याद की जाती है। रावण ने भोलेनाथ की भक्ति में अपना सिर तक काट दिया था। उनके इस गुण से सीख मिलती है कि सच्ची श्रद्धा और आस्था से ईश्वर अवश्य प्रसन्न होते हैं।
पराक्रमी और वीर योद्धा
रावण अपार शक्ति और पराक्रम के धनी थे। उन्होंने देवताओं तक को युद्ध में पराजित कर दिया था। उन्होंने कुबेर द्वारा भगवान शिव और माता पार्वती के लिए निर्मित सोने की लंका जीत ली थी। उनका ये गुण हमें साहसी और निर्भीक बनना सिखाता है, साथ ही चुनौतियों का सामना करने की सीख देता है।
प्रशासनिक कुशलता और राजनीति का ज्ञान
रावण ने लंका को स्वर्ण नगरी बनाया, जो समृद्ध और संगठित थी। वह एक कुशल प्रशासक थे। रावण से सीखने को मिलता है कि जीवन और समाज को व्यवस्थित करने के लिए प्रबंधन और अनुशासन जरूरी है।
संगीत और कला के संरक्षक
रावण वीणा वादन और संगीत में निपुण थे। उन्होंने कला और संस्कृति को बढ़ावा दिया। उनका यही गुण हमें सिखाता है कि जीवन में सिर्फ शक्ति ही नहीं, कला और संस्कृति से भी संतुलन और आनंद मिलता है।