दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। इस दिन भगवान श्रीराम के आदर्श जीवन को याद किया जाता है। श्रीराम केवल मर्यादा पुरुषोत्तम ही नहीं थे, बल्कि वे एक आदर्श पुत्र भी थे। उन्होंने अपने माता-पिता के प्रति कर्तव्य, सम्मान और आज्ञापालन के जो उदाहरण दिए, वे आज भी हमें प्रेरित करते हैं। यदि हर पुत्र, श्रीराम के गुणों को अपने जीवन में उतारे, तो परिवार और समाज दोनों ही सशक्त बन सकते हैं। आइए जानते हैं दशहरा 2025 पर वे प्रमुख गुण, जो हर बेटे को श्रीराम से सीखने चाहिए। इस दशहरा पर हम सबको यह संकल्प लेना चाहिए कि श्रीराम की तरह हम भी अपने माता-पिता का सम्मान और आज्ञा पालन करेंगे। यही सच्ची रामभक्ति है और यही विजयदशमी का संदेश।
आदर्श पुत्र बनने के लिए श्रीराम के 5 प्रमुख गुण
माता-पिता की आज्ञा का पालन
श्रीराम ने वनवास की कठोर आज्ञा को भी सहजता से स्वीकार किया। हर पुत्र को माता-पिता की आज्ञा का सम्मान करना चाहिए।
त्याग और बलिदान की भावना
राजगद्दी त्यागकर वनवास को चुनना श्रीराम की सबसे बड़ी विशेषता है। पुत्र को अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर परिवार का भला करना चाहिए।
धैर्य और संयम
कठिन परिस्थितियों में भी श्रीराम ने कभी क्रोध या विद्रोह नहीं किया। धैर्य से लिया गया निर्णय हर रिश्ते को मजबूत करता है।
माता-पिता का सम्मान
श्रीराम सदैव माता कौशल्या और पिता दशरथ के प्रति सम्मानजनक रहे। आदर्श पुत्र वही है जो अपने माता-पिता को सर्वोच्च स्थान देता है।
परिवार की प्रतिष्ठा की रक्षा
श्रीराम ने अपने कार्यों से सदैव परिवार की मर्यादा बनाए रखी। यही गुण आज हर बेटे को सीखना चाहिए।
