एसीपी क्राइम विदुष सक्सेना, एसीपी चेतगंज डा. ईशान सोनी के साथ पुलिस टीम ने चेतगंज थाना के मलदहिया, सिगरा, समेत पांच स्थानों पर एक साथ पहुंची। मलदहिया में किराए के मकान में चल रहे काल सेंटर की जांच की। यहां से चार युवकों पकड़ा वहां लगे कंप्यूटर की जानकारी हासिल की। पुलिस को पता चला कि काल सेंटर का इस्तेमाल दूसरों के साथ ठगी के लिए किया जा रहा था। कंप्यूटर से बड़ी संख्या में मोबाइल नंबर व बैंक खातों की जानकारी मिली है।
पुलिस का मानना है कि साइबर ठग इन काल सेंटर के जरिए लोगों को फोन काल करके रुपये देने के लिए दबाव बनाने थे। ठगी के हासिल रुपयों को आनलाइन बैंक खातों में भेजते थे। इनका संबंध देश के अलग-अलग राज्य के साथ ही दूसरे देशों में बैठे साइबर ठगों से है। धर्म की शिक्षा की नगरी वाराणसी साइबर ठगी का गढ़ बनती जा रही है। तीन महीने पहले सीबीआइ की दिल्ली टीम ने यहां छापा मारकर अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगों के गिरोह के प्रमुख केंद्र का राजफाश किया। गिरोह के तीन प्रमुख सदस्यों को गिरफ्तार किया। इसके पहले भी यहां से कई सक्रिय साइबर ठग पकड़े गए हैं।
अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी से जुड़े मामले में सीबीआइ टीम ने बीते 29 मई को वाराणसी में छापा मारा। महमूरगंज में संचालित हो रहे काल सेंटर से तीन युवकों को गिरफ्तार कर अपने साथ ले गई। यहां से 70 लैपटाप जब्त किया और उतने ही मोबाइल को बरामद किया। यह काल सेंटर जापान में होने वाले साइबर ठगी को अंजाम देने वाले गिरोह का एक ठिकाना था। वाराणसी साइबर ठगी का गढ़ बन रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि यहां उन्हें सब कुछ आसानी से मिल जाता है।
गिरोह के लिए जरूरी पढ़े-लिखे युवक मिल जाते हैं। गिरोह के सदस्य आसपास के गांवों, जिलों में जाकर लोगों को तरह-तरह से बरगलाकर फर्जी सिम कार्ड और बैंक खाता हासिल कर लेते हैं। यहां देश-दुनिया से आने वाले लोगों को बीच उन्हें छुपने के लिए ठिकाना आसानी से मिल जाता है। देश के हर हिस्से से यहां तक आने-जाने का इंतजाम मिल जाता है। बिहार में बड़ी संख्या में साइबर ठगों का गिरोह सक्रिय है। हर स्थान के गिरोह की ठगी का तरीका अलग-अलग है। बिहार से वाराणसी नजदीक होने की वजह से भी यहां ठगों से सक्रिय होने की वजह है।