राहुल रॉय उस वक्त दिल्ली में थे। और ग्रेजुएशन के आखिरी साल में थे। साथ ही साथ वो मॉडलिंग भी शुरू कर चुके थे। राहुल रॉय की मां इंदिरा रॉय एक लेखिका थी। उन्होंने किसी फ़ैशन मैगज़ीन के लिए कोई आर्टिकल लिखा था, जो महेश भट्ट ने भी पढ़ा था। महेश भट्ट उस आर्टिकल से बहुत प्रभावित हुए। वो एक दिन इंदिरा रॉय जी से मिलने दिल्ली आ गए। वहां पहली बार उन्होंने राहुल रॉय की तस्वीरें देखी थी। राहुल रॉय की पर्सनैलिटी महेश भट्ट को पसंद आई। उन्होंने राहुल रॉय की मां से पूछा कि क्या उनका बेटा एक्टर बनना चाहेगा?
कुछ दिन बाद राहुल रॉय महेश भट्ट से मिलने मुंबई पहुंचे। वो जुहू स्थित महेश भट्ट के घर गए। महेश भट्ट ने राहुल रॉय को कुछ आशिकी की लाइनें सुनाई। राहुल रॉय को वो लाइनें पसंद आई। और उन्होंने तय किया कि वो एक्टर ही बनेंगे। कई साल पहले पत्रकार सोनिल डेढिया को दिए इंटरव्यू में राहुल रॉय ने बताया था कि वो दिल्ली से थे। और मुंबई में एकदम नए व अनजान थे। महेश भट्ट ने उन्हें बहुत पैम्पर किया था उन दिनों। और राहुल को बिल्कुल भी अकेलापन महसूस नहीं होने दिया।
आशिकी की शूटिंग के पहले दिन को याद करते हुए राहुल ने बताया कि पहले दिन जुहू के एक बंगले में शूटिंग होनी थी। राहुल नर्वस तो थे ही, बहुत एक्सायटेड भी थे। राहुल रॉय का शूट किया गया पहला सीन वो था जिसमें उनकी मां बनी एक्ट्रेस रीमा लागू को पता चलता है कि उनके पति किसी और से शादी कर रहे हैं। वो बहुत इंटेंस सीन था। राहुल रॉय कहते हैं कि इस एक सीन में उन्हें गुस्सा, दुख और अपनी मां के प्रति संवेदना जतानी थी। सुनने में ये सीन बहुत आसान लगता है। लेकिन जब वो इस सीन को कर रहे थे तो उन्हें काफ़ी मुश्किलें आई थी।
राहुल रॉय ने ये भी बताया. कि इस सीन को शूट किए जाने तक भी फ़िल्म के लिए कोई हीरोइन सिलेक्ट नहीं हुई थी। पूजा भट्ट ने कुछ दिन पहले ही डैडी फ़िल्म की शूटिंग पूरी की थी। और वो आशिकी की पहले दिन की शूटिंग देखने आई थी। महेश भट्ट चाहते थे कि पूजा आशिकी में हीरोइन का किरदार निभाएं। मगर पूजा उस वक्त एक्टिंग से ब्रेक लेना चाहती थी। उन्होंने मना कर दिया। आशिकी की शूटिंग शुरू हुए एक सप्ताह बीता था कि राहुल रॉय को पता चला कि महेश भट्ट ने अनु अग्रवाल नाम की लड़की को हीरोइन के लिए फाइनल कर दिया है।
जब आशिकी फ़िल्म रिलीज़ के लिए तैयार हो गई, तो रिलीज़ से एक रात पहले मुंबई के डिंपल थिएटर में फ़िल्म की एक स्पेशल स्क्रीनिंग रखी गई थी। स्क्रीनिंग के दौरान राहुल रॉय ने महेश भट्ट से पूछा कि क्या दर्शक उन्हें स्वीकार करेंगे? महेश भट्ट ने राहुल से कहा कि हमने अपनी तरफ़ से एक अच्छी फ़िल्म बनाने के सभी प्रयास किए हैं। अब सबकुछ दर्शकों के हाथ में है।
अगले दिन जब फ़िल्म रिलीज़ हो गई तो महेश भट्ट ने राहुल रॉय को अपनी कार में बैठाया और मैट्रो सिनेमा के मैटिनी शो में उन्हें लेकर गए। फ़िल्म देखने अच्छी-खासी भीड़ आई थी। राहुल रॉय कहते हैं कि उस ज़माने में मेट्रो सिनेमा में 1000 लोगों के बैठने की क्षमता थी। लेकिन फ़िल्म देखने के लिए दो हज़ार से भी ज़्यादा लोगों की भीड़ जमा हो गई थी मेट्रो सिनेमा पर।
राहुल रॉय जैसे ही कार से बाहर निकले, भीड़ ने उन्हें पहचान लिया। लोग राहुल रॉय का नाम ज़ोर-ज़ोर से पुकारने लगे। राहुल रॉय से हाथ मिलाने के लिए लोग आपस में धक्का-मुक्की करने लगे। उनके ऑटोग्राफ़ लेने के लिए उतावले होने लगे। भीड़ को बेकाबू होते देख राहुल रॉय को मेट्रो सिनेमा के मैनेजर अपने केबिन में ले गए। फिर जैसे ही शो शुरू हुआ, फ़िल्म के प्रति लोगों की दीवानगी देखकर राहुल रॉय बहुत खुश हुए। राहुल रॉय कहते हैं कि जब उन्होंने लोगों को सिनेमा हॉल की स्क्रीन पर सिक्के उछालते देखा तो उन्हें लगा कि जैसे वो कोई ख्वाब देख रहे हैं।
उस इंटरव्यू में राहुल रॉय ने ये भी बताया कि लोग यकीन नहीं कर पाते। लेकिन ये बात एकदम सच है, कि आशिकी फ़िल्म के रिलीज़ होने और सुपरहिट होने के बाद छह महीने तक उन्हें कोई दूसरी फ़िल्म ऑफ़र नहीं हुई थी। और इस वजह से राहुल रॉय को फ़िक्र होने लगी थी। राहुल रॉय ने जब अपनी फ़िक्र महेश भट्ट को बताई तो महेश भट्ट ने उनसे कहा कि सब्र करो। लोग तुम्हें दिमाग में रखकर अभी स्क्रिप्ट्स लिख रहे होंगे।
छह महीने बाद अचानक ही राहुल रॉय के पास फ़िल्मों के ऑफ़र्स की बाढ़ सी आ गई। राहुल ने उस दौरान 47 फ़िल्में साइन कर ली। राहुल कहते हैं कि आज के ज़माने में ये बात लोगों को अजीब लगेगी। मगर उस ज़माने में ऐसा ही होता था। 47 फ़िल्में एक साथ साइन करना कोई बड़ी बात नहीं होती थी किसी स्टार के लिए। गोविंदा तो उस ज़माने में उनसे भी ज़्यादा फ़िल्में साइन करते थे। 47 फ़िल्मों में से राहुल रॉय ने 20 को बाद में रिजेक्ट कर दिया। राहुल रॉय इस बात को भी स्वीकारते हैं कि उन्होंने अपनी क्षमता से ज़्यादा फ़िल्में साइन कर ली। उन्हें 21 घंटे तक काम करना पड़ रहा था। इस वजह से उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ा।
राहुल रॉय से पूछा गया कि आखिर उनके करियर के साथ हुआ क्या? उनका करियर क्यों इतनी जल्दी खत्म हो गया? इसके जवाब में राहुल रॉय कहते हैं कि चूंकि वो न्यूकमर थे तो उन्हें स्क्रिप्ट्स में मौजूद कमियों का पता नहीं चल पाता था। उन्हें शूटिंग के दौरान पता चलता था कि फ़िल्म की स्क्रिप्ट में कमी है। और ये हुआ था अनुभवहीनता की वजह से। राहुल कहते हैं कि उन्होंने जब डायरेक्टर्स-प्रोड्यूसर्स से स्क्रिप्ट की कमियों को ठीक करने को कहा तो किसी ने उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया। क्योंकि सब जल्द से जल्द फ़िल्म रिलीज़ करना चाहते थे। ताकि आशिकी फ़िल्म की कामयाबी का फ़ायदा उठाया जा सके।
आशिकी के बाद लोगों ने जुनून, जनम व सपने साजन के जैसी फ़िल्मों में राहुल रॉय के काम की सराहना की थी। मगर उनकी अधिकतर फिल्में फ्लॉप हो गई। राहुल कहते हैं कि अब जब वो गुज़रे हुए समय को देखते हैं तो उन्हें अहसास होता है कि कुछ फ़िल्में उन्होंने ऐसी कर ली जो वाकई में कचरा थी। जब फ़िल्में फ्लॉप होने लगी तो राहुल रॉय की दिलचस्पी भी कम होने लगी। उन्होंने नई फ़िल्में साइन करना बंद कर दिया। क्योंकि जो भी ऑफ़र्स उनके पास आ रहे थे, वो सब वही पुराने, घिसे-पिटे आईडियाज़ व ऑफ़र्स थे। हालांकि राहुल रॉय को ये सुकून ज़रूर है कि उन्होंने कुल 33 फ़िल्मों में काम किया। और उनकी सभी 33 फ़िल्में रिलीज़ हुई। एक भी फ़िल्म अटकी नहीं।
1999 में राहुल रॉय ने ऑस्ट्रेलिया की परमानेंट रेज़ीडेंसी लेने के प्रयास शुरू कर दिए। उनका ऑस्ट्रेलिया आना-जाना होने लगा। और रेज़ीडेंसी हासिल करने के लिए उन्हें थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद ऑस्ट्रेलिया में दो महीने तक रुकना पड़ता था। इसी दौरान राहुल रॉय की राजलक्ष्मी जी से शादी भी हो गई। शादी के बाद राहुल रॉय ने अपने ससुर के कंस्ट्रक्शन बिजनेस में काम करना शुरू कर दिया। साथी ही साथ, राहुल अपने भाई के साथ भी काम कर रहे थे इस दौरान ही।
साथियों आज आशिकी फ़िल्म को रिलीज़ हुए 35 साल पूरे हो गए हैं। आशिकी फ़िल्म के बारे में लिखते-लिखते मैंने राहुल रॉय की कहानी लिख दी। कोई नहीं। शायद आपको ये कहानी भी पसंद आएगी। 17 अगस्त 1990 के दिन ये फ़िल्म रिलीज़ हुई थी। आशिकी की रिलीज़ के वक्त जो लोग अपने यूथ में होंगे, वो आज सोच रहे होंगे कि समय कितनी जल्दी गुज़र गया। ऐसा ही होता है साहब। हम Y2K वालों को भी ऐसा ही लगता है जैसे मानो कल की बात हो।
खैर, आशिकी फ़िल्म के बजट और कलैक्शन की बात करें तो 90 लाख रुपए इस फ़िल्म का बजट बताया जाता है। और कमाई बताई जाती है 3 करोड़ रुपए। ये फ़िल्म ब्लॉकबस्टर रही थी। नदीम-श्रवण के म्यूज़िक व कुमार सानू की गायकी ने धमाल मचा दिया था। टी-सीरीज़ के अंडर में इस फ़िल्म का म्यूज़िक रिलीज़ हुआ था। बताया जाता है कि आशिकी के 2 करोड़ से भी ज़्यादा कैसेट्स बिके थे। और गुलशन कुमार के बेटे भूषण कुमार ने कहा था कि आशिकी का ये रिकॉर्ड कोई और फ़िल्म कभी नहीं तोड़ सकी।
