वाराणसी। रेलवे अब ऊर्जा बचत के साथ ही ऊर्जा के उत्पादन को लेकर भी सक्रिय हो चला है। इसी कड़ी में बरेका में 70 मीटर रेल पटरी पर बिछाई गई सोलर पैनल से 15 किलोवाट की क्षमता का उत्पादन किया जा रहा है। महाप्रबंधक नरेश पाल सिंह ने फीता काटकर किया इस परियोजना का उद्घाटन किया तो भारतीय रेलवे के उज्जवल भविष्य की रूपरेखा भी सामने आ गई। अब रेलवे की पटरियों से भी विद्युत ऊर्जा का उत्पादन होगा। प्रयोग के तौर पर बरेका में 70 मीटर पटरी पर सोलर पैनल बिछाए गए हैं। लाइन नंबर 19 पर विकसित 15 किलो वाट की क्षमता के इस प्लांट का उद्घाटन महाप्रबंधक नरेश पाल सिंह ने फीता काटकर किया। उन्होंने इस कार्य के लिए मुख्य विद्युत सर्विस इंजीनियर भारद्वाज चौधरी एवं उनकी पूरी टीम पीठ थपथपाई और इसके आकार को वृहद करने के लिए हौसला अफजाई की। इस तकनीक को भारतीय रेल में अपनाया जा सकता है। माना जा रहा है कि जल्द ही इस योजना की तर्ज पर और भी प्रयोग ऊर्जा बचत और उत्पादन को लेकर रेलवे द्वारा किया जाएगा।
देश में अपनी तरह की पहली पहल
बरेका कार्यशाला की लाइन संख्या 19 पर स्थापित इस पायलट प्रोजेक्ट में, विशेष तरह से डिज़ाइन की गई विशेष इंस्टालेशन प्रक्रिया का उपयोग कर पटरियों के बीच सोलर पैनल लगाए गए हैं। इस प्रक्रिया में ट्रेन यातायात पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, वहीं पैनलों को जरूरत पड़ने पर आसानी से हटाया भी जा सकेगा। महत्वपूर्ण यह है कि यह नवाचार बरेका परिसर में पहले से स्थापित रूफटाप सोलर पावर प्लांट्स के साथ मिलकर हरित ऊर्जा उत्पादन को और गति देगा।
स्थापना से पहले पार की गई चुनौतियां
कंपन से सुरक्षा : ट्रेन गुजरने से होने वाली कंपन को कम करने के लिए रबर माउंटिंग पैड लगाया गया। मजबूत फिक्सेशन : पैनलों को एपाक्सी एडहेसिव से कंक्रीट स्लीपर पर चिपकाया गया, जिससे धातु-कंक्रीट का पकड़ मजबूत हो। सफाई और रखरखाव : पैनलों को धूल और मलबे से मुक्त रखने को आसान सफाई व्यवस्था। तेजी से हटाए जा सकेंगे पैनल : रेल पटरियों के रखरखाव को 4 एस.एस. एलन बोल्ट के जरिए पैनलों को जल्दी हटाया जा सकेगा।
नंबर गेम में तकनीक के मुख्य बिंदु-70 मीटर कुल ट्रैक की लंबाई। 15 किलोवाट कुल विद्युत क्षमता। 220 केडब्ल्यूपी पावर डेंसिटी। पैनल संख्या: 28 सोलर पैनल की विशेषताएं आकार: 2278×1133×30 मिमी वजन: 31.83 किग्रा.
