ग्वालियर। जन्माष्टमी पर प्राचाीन गोपाल मंदिर में भगवान राधा-कृष्ण 100 करोड़ गहनों से शृंगार करते हैं। सिंधिया रियासत के समय के इन गहनों में सोना, हीरा, नीलम, पन्ना, माणिक और पुखराज जैसे बेशकीमती रत्न जड़े हैं। यह गहने एंटिक हैं। इन्हें साल भर बैंक के लॉकर में विशेष सुरक्षा में रखा जाता है। जन्माष्टमी की सुबह उनको कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच बैंक के लॉकर से निकालकर लाया जाता है। जिसके बाद गहनों और उनमें जड़े रत्नों की गणना करने के बाद भगवान राधा-कृष्ण को यह पहनाए जाते हैं।
यह गहने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शनिवार को सुबह कोषालय से निकाले जाएंगे। महापौर डा. शोभा सिकरवार व नगर निगम आयुक्त संघ प्रिय महाआरती में शामिल होंगे। इस बार जन्माष्टमी 16 अगस्त को मनाई जा रही है। इस दौरान मंदिर के आसपास लगभग 200 से ज्यादा जवान व अधिकारी तैनात किए जाते हैं। इस गोपाल मंदिर की स्थापना करीब 103 साल पहले सिंधिया घराने ने ही कराई थी। यह बेशकीमती रत्न जड़े गहने भी सिंधिया घराने की देन हैं। जब राधा-कृष्ण इन गहनों को पहनते हैं तो उनकी सज्जा सभी को मोहित कर देने वाली होती है।
भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की नगर में तैयारियां गुरुवार से शुरू हो गईं हैं। श्री सनातन धर्म मंडल, जिला कोर्ट के पुराने भवन व सदर बाजार स्थित गिर्राजधरण मंदिर के साथ-साथ फालका बाजार स्थित श्रीराम मंदिर, विष्णु मंदिर जनकगंज स्थित श्रीलक्ष्मी नारायण मंदिर व किलागेट पर स्थित जानकी वल्लभ मंदिर सहित अन्य मंदिरों पर आकर्षक विद्युत सज्जा की जा रही है।
इसके साथ ही मंदिरों भगवान के विग्रह का दूध-दही, घी, शहद, शक्कर से पंचामृत अभिषेक होगा और माखन मिश्री का भोग लगेगा। अध्यक्ष विजय गोयल एवं प्रधानमंत्री रमेश चंद्र गोयल लल्ला, कोषाध्यक्ष राकेश बंसल, धर्ममंत्री रविंद्र चौबे ने बताया कि श्री सनातन धर्म मंदिर में जन्माष्टमी महोत्सव 16 एवं नंदोत्सव 17 अगस्त को मनाया जाएगा।
भगवान श्री चक्रधर एवं श्री गिर्राजधरण को 200 किलोग्राम मक्खन एवं 40 प्रतिशत मिश्री के मिश्रण से 12000 कुलिया तैयार की जाएंगी। भगवान श्री चक्रधर एवं श्री गिर्राजधरण के लिए वृंदावन से भव्य पोशाक तैयार कराई जा रही है, साथ ही भगवान का माला मुकुट एवं शृंगार वृंदावन से ही लाया जाएगा।
ध्रुव योग में मनेगी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व कल यानी 16 अगस्त को मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अर्धरात्रि को अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।
विशेष योग : ध्रुव योग सुबह चार बजकर 28 मिनट तक। कृतिका नक्षत्र सुबह चार बजकर 38 मिनट तक। रोहिणी नक्षत्र रात्रि तीन बजकर 17 मिनट तक। रात्रि पूजा का समय: 17 अगस्त, रात 12 बजकर चार मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक।
जन्माष्टमी तिथि पर शुभ मुहूर्त : अष्टमी तिथि की शुरुआत 15 अगस्त को रात 11 बजकर 48 मिनट पर होगी। यह 16 अगस्त रात नौ बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी।
ब्रह्म मुहूर्त : सुबह चार बजकर 24 मिनट से पांच बजकर सात तक रहेगा।
अभिजीत मुहूर्त : दिन में 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक। गोधूलि बेला: शाम छह बजकर 59 मिनट से सात बजकर 21 मिनट तक। जन्माष्टमी व्रत पारण का समय कुछ भक्त जन्माष्टमी व्रत का पारण अर्धरात्रि को पूजन के बाद करते हैं। रिपोट - राजेश शिवहरे 151168597
