वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विभिन्न विभागों में गुरुवार को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया गया। शिक्षाशास्त्र विभाग में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर श्रद्धांजलि देते हुए विभागाध्यक्ष प्रो. सुरेन्द्र राम ने कहा कि आज़ादी से ठीक एक दिन पहले हुए राष्ट्रीय विभाजन और उस त्रासदी में मारे गए लाखों लोगों की याद में हम 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाते हैं। विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर हम उन अनगिनत लोगों को याद करते हैं जो विभाजन की भयावता से प्रभावित हुए थे। यह दिवस उन पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने का भी दिन है, जो मानवीयता की शक्ति को दर्शाता है। प्रो. रमाकांत ने कहा कि स्वतंत्रता के साथ ही विभाजन का दर्द और हिंसा भी देश की स्मृति में गहराई से अंकित है। संचालन डॉ. राखी देब एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. वीणा वादिनी ने किया। इस दौरान डॉ. ध्यानेन्द्र मिश्रा, डॉ. राजेंद्र यादव, डॉ. दिनेश कुमार, डॉ. रमेश प्रजापति, डॉ. पवन कुमार, शिखा राय आदि उपस्थित रहे। समाजकार्य संकाय में विभाजन विभीषिका दिवस पर प्रो. राजाराम शास्त्री सभागार में सभा आयोजित हुई। संकायाध्यक्ष प्रो. महेन्द्र मोहन वर्मा ने कहा कि 14 अगस्त, 1947 को भारत के विभाजन की दुःखद त्रासदी अंग्रेजों की कुटिल नीति एवं मोहम्मद अली जिन्ना की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा का परिणाम थी। सदियों से एक रहे हिंदुस्तानी आवाम को अनचाहे ही माउण्टवैटेन प्लान के अंतर्गत कृत्रिम रूप से विभाजित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि यह भौगोलिक विभाजन एक मानव त्रासदी के रूप में घटित हुआ।
