वाराणसी। पूर्वांचल में इस समय दुर्गा मूर्तियों का निर्माण तेजी से शुरू हो चुका है। देवी की मूर्तियों का निर्माण करने वाले कारीगर, जो कलकत्ता से आए हैं, अपने हुनर से मूर्तियों में प्राण फूंकने में जुटे हैं। खरीदार थीम आधारित पंडाल के आधार पर मूर्तियों की भी डिमांड कर रहे हैं। वाराणसी के किरहिया स्थित मां शीतला मूर्ति कला केंद्र में लगभग सौ किलो क्ले से मां दुर्गा की मूर्ति का निर्माण कर रहे मूर्तिकार शीतल चौरसिया इस कार्य में पूरी तत्परता से लगे हुए हैं। शीतल का कहना है कि इस बार की मूर्ति विशेष आकर्षण का केंद्र बनेगी। यह मूर्ति लगभग एक महीने में तैयार होगी और इसमें लगभग 15 रंगों का उपयोग किया जाएगा। मूर्ति मां दुर्गा के बाल स्वरूप का दर्शन कराएगी।
इस बार की नवरात्रि में पूजा समितियों की ओर से मूर्तियों की डिमांड भी आनी शुरू हो गई है। अगले माह 22 सितंबर से नवरात्र का पर्व प्रारंभ हो रहा है, जबकि 2 अक्टूबर को विजयदशमी के साथ इस पर्व का समापन होगा। इस अवसर पर मां दुर्गा की पूजा अर्चना के लिए भक्तों में विशेष उत्साह देखने को मिल रहा है। मूर्तियों के निर्माण में कारीगरों की मेहनत और कला का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है।
शीतल चौरसिया ने बताया कि मूर्तियों के निर्माण में कारीगरों की टीम ने विशेष ध्यान रखा है। वे हर एक विवरण को बारीकी से तैयार कर रहे हैं ताकि मूर्तियां भक्तों के मन को भा सकें। इस बार की मूर्ति में रंगों का चयन भी बहुत सोच-समझकर किया गया है, जिससे यह और भी आकर्षक बनेगी। मूर्तियों का निर्माण केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह कला और संस्कृति का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
इस दौरान, कारीगरों ने बताया कि वे अपने काम में पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ लगे हुए हैं। उनका मानना है कि इस बार की मूर्तियां न केवल भक्तों को आकर्षित करेंगी, बल्कि उनकी मेहनत और कला की सराहना भी होगी। मूर्तियों के निर्माण में लगने वाला समय और मेहनत इस बात का प्रमाण है कि भारतीय संस्कृति में कला का कितना महत्व है।
इस प्रकार, वाराणसी में दुर्गा मूर्तियों का निर्माण एक बार फिर से धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव का हिस्सा बन रहा है। भक्तों की आस्था और कारीगरों की मेहनत मिलकर इस पर्व को और भी खास बना रहे हैं। सभी की नजरें अब इस विशेष मूर्ति पर टिकी हुई हैं, जो नवरात्रि के दौरान श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करेगी।
