वाराणसी। मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र, शिक्षाशास्त्र विभाग, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ द्वारा आयोजित छः दिवसीय ऑनलाइन मल्टीडिसिप्लिनरी संकाय संवर्धन कार्यक्रम, 'भारतीय न्याय संहिता' के तीसरे दिन शनिवार को प्रथम सत्र मे विधि संकाय, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के डॉ. मयंक बरनवाल ने भारतीय साक्ष्य अधिनियम- 2023 पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि वर्तमान युग डिजिटल युग है, जिसमें संचार एवं संप्रेषण के क्षेत्र में अत्यधिक विस्तार हुआ है। आज जीवन के किसी भी क्षेत्र में डिजिटल माध्यमों की दखल से इंकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को प्राथमिक साक्ष्य के रूप में मान्यता प्राप्त होने से साक्ष्य की प्रकृति में परिवर्तन हुआ है, जिसके कारण भारतीय साक्ष्य अधिनियम में इसका महत्व बढ़ गया है। विधि विशेषज्ञों द्वारा इसे एक प्रगतिशील कदम के रूप में देखा जा रहा है। डिजिटल अरेस्ट एवं साइबर अपराध जैसे मामलों में इन साक्ष्यों का उपयोग व्यापक स्तर पर होने लगा है, परन्तु इस प्रकार के साक्ष्यों की विश्वसनीयता एवं प्रमाणीकरण में अनेक चुनौतियां विद्यमान हैं, जिसपर हमें गंभीरतापूर्वक विचार करना आवश्यक है। आज साइबर विशेषज्ञों की भूमिका बढ़ती जा रही है।
दूसरे सत्र में डॉ. राजीव कुमार सोनी ने व्यक्तिगत सुरक्षा के संबंध में भारतीय न्याय संहिता के प्रावधानों, चोरी, झपटमारी, एवं डकैती पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि भारतीय न्याय संहिता एक ऐतिहासिक कदम है, जिसमें व्यक्तिगत सुरक्षा को अत्यंत महत्व प्रदान किया गया है तथा इस हेतु अनेकों प्रावधान किए गये हैं। ऐसे मामलों में बिना किसी भय के भारतीय न्याय संहिता की धारा 309 के तहत न्याय प्राप्त कर सकते हैं, जिसमें दोषी को सात साल तक की सजा का प्रावधान है। ऐसे मामलों में यदि एक से अधिक अपराधी शामिल हैं तो उसे संगठित अपराध की श्रेणी में माना जाएगा। स्वागत विभागाध्यक्ष एवं केन्द्र निदेशक प्रो. सुरेंद्र राम, संचालन प्रो. रमाकांत सिंह, तकनिकी सहयोग विनय सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. आशिक इकबाल ने किया।
