फास्ट न्यूज़ इंडिया
कभी शादी को हर लड़की का सपना माना जाता था, लेकिन आज की आधुनिक, आत्मनिर्भर और जागरूक महिलाएं इस सोच को चुनौती दे रही हैं। अब शादी उनकी जरूरत नहीं, एक चॉइस बन चुकी है।आज के दौर की लड़कियां शादी करने से कतराती हैं। उनके लिए शादी के रिश्ते आते हैं और वह तब तक इसे ठुकराती रहती हैं, जब तक उन पर पारिवारिक दबाव बढ़ नहीं जाता। अधिकतर माॅडर्न लड़कियों के मुंह से यह सुनने को मिल ही जाता है, मैं शादी क्यों करूं, क्या जरूरत है शादी की या मुझे नहीं करनी शादी...। हालांकि शादी को लेकर महिलाओं के बदलते विचार के कई कारण हैं। कई लड़कियां अब शादी को लेकर संशय, डर या असहजता महसूस करती हैं और इसके पीछे सिर्फ एक नहीं, कई गहरे सामाजिक और मानसिक कारण हैं। चलिए जानते हैं आखिर क्यों आजकल की लड़कियां शादी से कतराने लगी हैं?
पांच मुख्य कारण जिनकी वजह से लड़कियां अब शादी से हिचकिचा रही हैं
स्वतंत्रता की चाह और आत्मनिर्भरता
जहां पहले के दौर में बेटियां पहले अपने पिता पर आर्थिक निर्भर रहती थीं और फिर पिता के कंधे बूढ़े होने से पहले पति पर निर्भर हो जाती थीं, वहीं आधुनिक युग की लड़कियां आर्थिक रूप से खुद पर निर्भर हैं। वह अच्छी कंपनी में नौकरी करती हैं या बिजनेसविमेन हैं। आय के मामले में भी वह किसी से कम नहीं। ऐसे में उन्हें किसी और पर टिके रहने की जरूरत महसूस नहीं होती। इनके साथ ही महिलाओं में भी स्वतंत्रता की चाह बढ़ रही है। आत्मनिर्भर महिलाओं को लगता है कि शादी से बाद उनकी आजादी का हनन होगा। इस कार वह विवाह से हिचकिचाती हैं।
करियर को लेकर प्राथमिकता
चूंकि महिलाएं पहले से कहीं अधिक शिक्षित हो रही हैं, ऐसे में वह करियर में भी सफलता चाहती हैं। कई लड़कियां पहले अपने करियर को संवारना चाहती हैं। वह शादी को ब्रेक या जिम्मेदारी के तौर पर देखती हैं। साथ ही शादी को करियर की सफलता में अड़चन मानती हैं। इस कारण करियर में सफलता हासिल करने तक शादी नहीं करना चाहती हैं। उनकी प्राथमिकता शादी नहीं, करियर होती है।
टॉक्सिक रिश्तों का डर और तलाक के आंकड़े
इस सदी में शादियां टूटने और तलाक के आंकड़े बढ़ने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। जब लड़कियां देखती हैं कि उनके आसपास कई शादियां टिक नहीं रहीं तो वह शादी और टाॅक्सिक रिश्तों से डर जाती हैं। शादी के बाद लड़कियों की स्थिति, पति संग होने वाला गृह क्लेश आदि उन्हें ये सोचने पर मजबूर कर देता है कि कहीं उनका रिश्ता भी शादी के बाद बोझ न बन जाएं। ऐसे में वह शादी ना करना ही बेहतर समझती हैं।
घरेलू जिम्मेदारियों का एकतरफा दबाव
शादी के बाद महिलाओं की जिम्मेदारी अधिक बढ़ जाती है। वह नौकरी पेशा हों या गृहणी हो, घर के सारे काम, परिवार के सभी सदस्यों की पसंद नापसंद का ध्यान रखना एक बहू का ही कर्तव्य माना जाता है। इस परंपरा पर लड़कियां खुलकर सवाल करती हैं। वह घरेलू जिम्मेदारियों के एकतरफा दबाव से बचना चाहती हैं। उनका सवाल होता है कि शादी के बाद घर की सारी जिम्मेदारी बहू पर ही क्यों है? इस विचार का सही उत्तर न मिलने पर वह शादी से दूरी बना लेना ही सही समझ लेती हैं।
समाज की दखलअंदाजी
शादी के बाद , ये क्या पहना है?, कब बच्चे होंगे? जैसी बातें अक्सर महिलाओं की आजादी में खलल डालती हैं। शादी के बाद लड़की के जीवन में समाज की दखलअंदाजी बढ़ जाती है। लड़कियों को महसूस होता है कि शादी करने से उनके व्यक्तिगत स्पेस में कमी आ सकती है। ऐसे में वह शादी से कतराने लगती हैं और इस तरह की दखलअंदाजी से बचना चाहती हैं।
