फास्ट न्यूज़ इंडिया
हरियाणा के हिसार स्थित हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (एचयूए) के असिस्टेंट प्रोफेसर राधे श्याम की नियमित जमानत याचिका को जिला अदालत ने खारिज कर दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मधुलिका की अदालत ने अपने आदेश में कहा कि शिकायत में लगाए गए आरोप बेहद गंभीर हैं और यदि अभियुक्त को जमानत का लाभ दिया गया, तो उसके साक्ष्यों से छेड़छाड़ और केस से भागने की आशंका है। इन परिस्थितियों में, अदालत ने नियमित जमानत देने से इनकार कर दिया। एचएयू के असिस्टेंट प्रोफेसर राधे श्याम को 15 जून को गिरफ्तार किया गया था। उनके खिलाफ 11 जून 2025 को थाना सिविल लाइंस में एफआई दर्ज की गई थी। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 की धाराएं 110, 190, 191(2), 191(3), और 351(3) के तहत दर्ज किया गया है। एचएयू के छात्र दीपांशु की शिकायत पर यह एफआईआर दर्ज की गई थी।
शिकायत के अनुसार, 10 जून 2025 को सुबह लगभग 10:30 बजे छात्रवृत्ति में कटौती, एलडीवी सीटों में कमी और फीस वृद्धि के विरोध में छात्र शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। आरोप है कि उसी दिन रात लगभग 10:15 बजे असिस्टेंट प्रोफेसर राधे श्याम, सीएसओ सुखबीर सिंह और सुरक्षा कर्मियों ने कुलपति के निवास स्थान पर छात्रों पर लाठियों से हमला किया, जिसमें दीपांशु सहित कई छात्रों को गंभीर चोटें आईं। सभी घायलों को सामान्य अस्पताल, हिसार में भर्ती कराया गया।
लोक अभियोजक राकेश कुमार और शिकायतकर्ता की ओर से अधिवक्ता एमएस नैन ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए बताया कि घटना में सात छात्र घायल हुए और इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध है। जिसे पुलिस को जांच में सौंपा गया है। राधे श्याम उस समय हिसार में तैनात नहीं थे और बिना अधिकृत अनुमति के विश्वविद्यालय परिसर में उपस्थित थे।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि अस्पताल में मेडिकल रिपोर्ट में हेराफेरी की गई, जो विश्वविद्यालय प्रशासन के प्रभाव में की गई। अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि अभियुक्त मुख्य आरोपी हैं और एफआईआर में नामजद हैं, जबकि अन्य सह-अभियुक्त अभी गिरफ्तारी से बाहर हैं। चिकित्सा जांच अभी लंबित है। बचाव पक्ष ने यह तर्क दिया कि राधे श्याम का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और उन्हें पहले ही निलंबित किया जा चुका है, लेकिन अदालत ने आत्मरक्षा के तर्क को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि न तो किसी अधिकारी को चोट लगी है और न ही छात्रों द्वारा कोई हिंसा की गई। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि यह आदेश केवल जमानत याचिका से संबंधित है और इसका प्रभाव मुख्य मामले की सुनवाई पर नहीं पड़ेगा। आदेश पारित करते हुए अदालत ने राधे श्याम की जमानत याचिका खारिज कर दी और मामले की फाइल रिकॉर्ड कक्ष में भेजने के निर्देश दिए।
