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पुरी में हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा आयोजित की जाती है। इस साल पुरी जगन्नाथ यात्रा 27 जून 2025 को यानी कि आज से शुरू हो रही है। जगन्नाथ रथ यात्रा न सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह ओडिशा की संस्कृति, परंपरा और पर्यटन का अद्भुत संगम भी है। रथ यात्रा में शामिल होने के लिए उड़ीसा के पुरी शहर में पहुंचा जा सकता है। अगर आप रथ यात्रा 2025 के लिए पुरी जा रहे हैं तो यह मौका है वहां की खूबसूरती को भी करीब से जानने का। पुरी सिर्फ मंदिरों का शहर नहीं है, बल्कि इसके आसपास कई ऐसी जगहें हैं जहां जाकर आप अपनी यात्रा को और भी समृद्ध बना सकते हैं। आइए जानते हैं जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए पुरी जा रहे हैं तो यहां के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों की सैर भी जरूर करें।
जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान पुरी के पास घूमने लायक पांच जगहें
कोणार्क का सूर्य मंदिर
कोणार्क का सूर्य मंदिर पुरी से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित है। सूर्य मंदिर कोणार्क यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट है और ओडिशा की सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है। यह मंदिर रथ के आकार में बना है और सूर्य भगवान को समर्पित है। यहां का भव्य स्थापत्य कला, शिल्पकला का उत्कृष्ट उदाहरण और अद्भुत मूर्तिकला का उदाहरण देखने को मिलता है।
चिल्का झील
पुरी से लगभग 50 किमी दूर शानदार चिल्का झील है, जो कि भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है। यहां बोटिंग, पक्षी दर्शन और डॉल्फिन देखने का अनुभव अविस्मरणीय होता है। चिलका लेक जाएं तो मछुआरे की नाव से सैर करें। यहां प्रवासी पक्षी और डॉल्फिन को करीब से देखने का लुत्फ उठा सकते हैं।
रामचंडी बीच
यह शांत और सुंदर समुद्र तट पुरी से लगभग सात किमी दूर है और कोणार्क रोड पर पड़ता है। यह भीड़ से दूर सुकून भरे समय के लिए बेस्ट है। यहां की सफेद रेत, नीला पानी और सूर्यास्त का शानदार नज़ारा किसी का भी मन मोह लेने के लिए काफी है।
सातपाड़ा
यह स्थान चिल्का झील के किनारे स्थित है और डॉल्फिन दर्शनों के लिए जाना जाता है। प्रकृति प्रेमियों के लिए यह जन्नत जैसा अनुभव देता है। यहां आप बोट सफारी का आनंद उठा सकते हैं। डॉल्फिन, पक्षी और झील के बीच बसे शांत जीवन का अनुभव प्राप्त करें।
लिंगराज मंदिर
पुरी के जगन्नाथ मंदिर के अलावा आप भुवनेश्वर के लिंगराज मंदिर के दर्शन के लिए जा सकते हैं। जगन्नाथ मंदिर का सहायक शिव मंदिर है। इस मंदिर में भगवान शिव की हरिहर के रूप में पूजा होती है, जिसमें शिव और विष्णु एक संयुक्त रूप में विराजमान हैं। मंदिर कलिंग और देउल शैली से बनाया गया है। लिंगराज मंदिर को चार भागों में बांटा गया है, जिस में गर्भ गृह, यज्ञ शाला, भोग मंडप और नाट्यशाला शामिल है।
