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सरकार का अनदेखा दिल्ली विवेक विहार अस्पताल अग्निकांड, एक साल बाद भी नहीं मिला न्याय
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    19 May 2025 10:23 AM



पूर्वी दिल्ली। विवेक विहार में अवैध रूप से संचालित बेबी केयर न्यू बोर्न अस्पताल में आग लगने से सात नवजात बच्चों की मौत को एक साल हो गया है। उन नवजात बच्चों के परिजनों की आंखें न्याय के इंतजार में पथरा रही हैं। अपने मासूम बच्चों को खो चुकी माताएं आज भी सिसकियां भर रही हैं। आरोपी अस्पताल संचालक डॉ. नवीन खीची और हादसे के वक्त ड्यूटी पर मौजूद डॉ. आकाश को गैर इरादतन हत्या और लापरवाही से मौत के मामले में मार्च में दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी। पीड़ित परिवारों का कहना है कि इस मामले की सुनवाई में तेजी लाई जाए। आरोपियों को सजा मिलने पर ही उन्हें न्याय मिलेगा। जिस अस्पताल में आग लगी है, वह खंडहर हो चुका है। बाहर टीन के शेड लगे हैं। यहां के स्थानीय लोग आज भी उस घटना को याद कर सहम जाते हैं।

पीड़ित परिवारों का कहना है कि वह कभी नहीं भूल सकते कि हादसा कितना भयानक था। वह नवजात बोल नहीं सकते थे और हादसे के वक्त उनके साथ कोई परिजन भी नहीं था। जब वह अस्पताल पहुंचे तो उनके शव देखकर उनकी सांसें थम गईं। परिजनों का कहना है कि जल्द से जल्द दोनों आरोपी डॉक्टरों को सख्त सजा मिलनी चाहिए। पैसों के लालच में अस्पताल संचालक बिना रजिस्ट्रेशन के अस्पताल चला रहा था। वह पांच बेड की अनुमति लेकर 20 से 25 मरीजों को भर्ती कर रहा था। बता दें कि 26 मई 2024 को शॉर्ट सर्किट से अस्पताल में आग लग गई थी, सात नवजात जलकर मर गए थे।

 

एसीबी ने अस्पतालों की थी जांच, हालात में कोई सुुधार नहीं

बेबी केयर न्यू अस्पताल में आग लगने की घटना के बाद दिल्ली के एलजी ने एसीबी को अस्पतालों की जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी। एसीबी ने तीन महीने में 146 अस्पतालों और नर्सिंग होम का निरीक्षण किया था। इस निरीक्षण में एसीबी को अस्पतालों में कई खामियां मिलीं। अगस्त 2024 में एलजी को रिपोर्ट सौंपी गई। इसमें दावा किया गया कि कई अस्पताल बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं। बेसमेंट में अवैध तरीके से ओपीडी चल रही है। बड़ी संख्या में ऑक्सीजन सिलेंडर रखे जा रहे हैं। इस रिपोर्ट के बाद भी अस्पतालों की हालत सुधरती नहीं दिखी। बेसमेंट में अभी भी अस्पतालों में इलाज चल रहा है

 

प्रतिक्रिया

दिलशाद गार्डन के मंगलम अस्पताल में बेटा पैदा हुआ। डॉक्टरों ने कहा कि उसे सांस लेने में तकलीफ है और उसे नर्सरी में भर्ती करना पड़ेगा। कवाया को बेबी केयर अस्पताल में भर्ती कराया गया और तीसरे दिन आग लगने से उसकी मौत हो गई। राजधानी में इतना बड़ा हादसा होने के बाद भी कुछ नहीं बदला। जमानत पर बाहर आया डॉक्टर फिर मासूमों की जिंदगी से खेलेगा।

- मसीह आलम, पीड़ित

मैंने सोचा था कि अगर मैं अपने बच्चे को देश की राजधानी के किसी अस्पताल में भर्ती करा दूंगा तो मुझे बेहतर इलाज मिलेगा। मैं बच्चे को बुलंदशहर से बेबी केयर अस्पताल लेकर आया था, मुझे नहीं पता था कि डॉक्टर की गलती का खामियाजा बच्चे को भुगतना पड़ेगा। कोर्ट जाते हैं तो अगली तारीख मिल जाती है, लेकिन आरोपियों को सजा नहीं मिलती।

-अनुज, पीड़ित



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