ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि लोग कहते हैं कि डॉ. बीआर आंबेडकर ने मनुस्मृति को जलाया था, लेकिन हम स्पष्ट कर दें कि उन्होंने मनुस्मृति को नहीं जलाया था। वह तो संविधान जलाना चाहते थे। मनुस्मृति को गंगाधर सहस्रबुद्धे ने जलाई थी। ये बातें उन्होंन केदारघाट स्थित श्रीविद्यामठ में मनुस्मृति पर प्रवचन के दौरान कहीं। शंकराचार्य ने कहा कि आंबेडकरवादी लोगों को बाबा साहब के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए आगे आना चाहिए। सनातन ही एकमात्र धर्म है, जिसमें यदि बेटा भी कुछ गलत करता है तो उसे भी वही सजा दी जाती है जो किसी अन्य को दी जाती है। वेद को यदि पढ़ा जाए तो 4524 पुस्तकें मिलाकर 4 वेद बनते हैं और इन्हें समझने के लिए वेदांग को समझना जरूरी है। वेदों के सार को ही मनुस्मृति कहा जाता है। ज्योतिष्पीठाधीश्वर ने कहा कि बुद्ध ब्राह्मण कुल में पैदा हुए फिर भी हम उनको पूजते नहीं हैं। राम और कृष्ण को क्षत्रिय कुल में पैदा होने के बाद भी हम पूजते हैं। यदि धर्म का पालन करते वक्त मौत भी आ जाए तो भी उसमें हमारा कल्याण है इसलिए कर्म कभी नहीं छोड़ना चाहिए।