पुरातात्विक खंडहर परिसर के बगल में स्थित पुरातात्विक संग्रहालय का निर्माण 1904 में ब्रिटिश शासन के इंजीनियर जॉन रोसमैन द्वारा प्रारंभ करवाया गया था, जो 1910 में बनकर तैयार हो गया था। सारनाथ स्थित संग्रहालय में यही उत्खनन क्षेत्र से उत्खनन में प्राप्त एंटीक्विटी रखे गए हैं।
जो इस संग्रहालय को भारत के अन्य संग्रहालयों से अलग बनाता है। और यह भारत का पहला साइड म्यूजियम बन जाता है। यही पर अशोक काल के सिंहशीर्ष भारत के राष्ट्रीय चिन्ह को रखा गया है जो अपने बलूवे पत्थर पर अतुल्यनीय पॉलिश के लिए लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है।
संग्रहालय के बाय गैलरी में जहां पर बौद्ध से संबंधित कलाकृतियां रखी गई है तो दाहिने गैलरी में हिन्दू व जैन कलाकृतियों को देखा जा सकता है। पूरे भवन को चुनार के बलुआ पत्थर से बनाया गया है।
