हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप की समस्या। आम तौर पर ये बढ़ती उम्र की बीमारी मानी जाती है, लेकिन समय बदलने के साथ अब इसमें तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है। बीएचयू अस्पताल की अलग-अलग ओपीडी को मिलाकर 20 से 35 साल तक के हर सप्ताह 50 मरीजों में ये समस्या देखने को मिल रही है। विशेषज्ञों के अनुसार हाइपरटेंशन कई बीमारियों की जड़ होती है। कम उम्र में हाइपरटेंशन की वजह से हृदय रोग की समस्या हो रही है। वहीं, ब्रेन स्ट्रोक, आंखों की रोशनी जाने की समस्या भी बढ़ रही है। हाइपरटेंशन के प्रति जागरूकता को लेकर हर साल 17 मई को विश्व हाइपरटेंशन दिवस मनाया जाता है। जहां तक हाइपरटेंशन से होने वाली समस्या की बात है तो विशेषज्ञ इस बीमारी के बढ़ने की वजह जीवनशैली में बदलाव को मानते हैं। आईएमएस बीएचयू में हृदय रोग विभाग के प्रो. ओमशंकर का कहना है कि ओपीडी में इधर एक साल से 30 साल तक के मरीजों में भी उच्च रक्तचाप की समस्या देखने को मिल रही है।
बीएचयू क्षेत्रीय नेत्र संस्थान के प्रो. दीपक मिश्रा का कहना है कि हाइपरटेंशन की वजह से आंखों की रोशनी जाने का खतरा भी रहता है। अगर किसी को हाई बीपी है तो उसकी आंखों के पर्दे में खून की धमनियां ठोस हो जाती है जो कमजोर धमनियों को दबा देती है। विश्व हाइपरटेंशन दिवस के उपलक्ष्य में स्वास्थ्य विभाग की ओर से 17 मई से 17 जून तक एक महीने तक विशेष अभियान चलाया जाएगा। सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि अभियान का उद्देश्य समुदाय स्तर पर उच्च रक्तचाप की रोकथाम, शीघ्र पहचान एवं उपचार को प्रोत्साहित करना है।
यंग हाइपरटेंशन चिंता का कारण
इंडोक्राइनोलॉजी विभाग के प्रो. एनके अग्रवाल यंग हाइपरटेंशन की समस्या का बढ़ना चिंता का कारण है। आम तौर पर यह बीमारी पहले 40 के बाद ही देखने को मिलती थी लेकिन अब 20 से 30 साल वाले मरीज भी आ रहे हैं। सप्ताह में ऐसे 5 से 7 मरीज आ रहे हैं, जिनमें मधुमेह की शिकायत के साथ उच्च रक्तचाप की समस्या भी मिल रही है। समय से अगर उपचार नहीं हुआ तो आगे चलकर किडनी सहित अन्य अंगों पर इसका असर पड़ता है।