एक बेटे ने नेत्रहीन पिता से जमीन अपने नाम दान करवाकर उन्हें घर से निकाल दिया। इस धोखे से मर्माहत नेत्रहीन पिता ने न्याय के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया। जॉइंट मजिस्ट्रेट कुमार सौरभ ने बृहस्पतिवार को पुत्र के पक्ष में लिखे गए दान पत्र को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि एक पुत्र ने अपने ही पिता से छलपूर्वक और कपटपूर्वक जमीन अपने नाम दान करवाई है, जिसे माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरणपोषण एवं कल्याण अधिनियम की धारा 23 (1) के तहत निरस्त किया जाता है। पिता को आखिरकार सात महीना 21 दिन बाद न्याय मिल ही गया। न्यायहित में लिए गए इस निर्णय की चर्चा तहसील में खूब हुई।
ये है पूरा मामला
कटाहितखास गांव निवासी रामधनी बिंद नेत्रहीन हैं। उनके दो लड़के रमाकांत, शशिकांत और एक अविवाहित बेटी माधुरी है। रामधनी के पास 16 बिस्वा भूमि थी। इसमें से 13 बिस्वा का दान पत्र 9 नवंबर 2023 को रमाकांत ने अपने हक में पिता से लिखवा लिया था। दान पत्र पाते ही पुत्र ने पिता को न सिर्फ भरण पोषण देना बंद कर दिया बल्कि घर से भी निकाल दिया।
