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डी पी ए बलिया के जिलाध्यक्ष व अटेवा बलिया के संगठन मंत्री मलय पाण्डेय से साक्षात्कार के प्रमुख अंश
  • 151173894 - PARMATMA NAND SINGH 0 0
    28 Apr 2025 15:21 PM



यूपी बलिया। हम बात कर रहे हैं डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशन बलिया के क्रन्तिकारी जिलाध्यक्ष व अटेवा बलिया के संगठन मंत्री मलय पाण्डेय की जो अपने साक्षात्कार में बोले कि उत्तर प्रदेश सरकार की दोहरी नीति से प्रदेश का फार्मेसिस्ट अपने को विषम परिस्थिति में पा रहा है। विस्तार करते हुए बोले कि केवल दो उदाहरण से बात समझ में आ जाएगी प्रथम यह कि एक ओर जहाँ फार्मेसी एक्ट 1948 के अनुपालन में प्रधान मंत्री जन औषधि केंद्र और प्राइवेट रिटेल मेडिकल स्टोर में दवा का भंडारण और मरीजों के हाथ में दवा देने का लाइसेंस सिर्फ फार्मेसिस्ट का है बिना फार्मेसिस्ट लाइसेंस ही निर्गत नहीं होता वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश सरकार फार्मेसी एक्ट 1948 की अवमानना करते हुए सरकारी दवाएं बिना फार्मेसिस्ट के ही आशा, एस टी एस, ए एन एम हेल्थ विजिटर सहित अन्य कर्मचारियों से मरीजों के हाथ में सीधे बंटवा रही है जिससे मरीजों के स्वास्थ्य के साथ दुर्घटना होने की संभावना बन सकती है।

द्वितीय यह कि प्राइवेट मेडिकल स्टोर पर यहां तक कि प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र पर भी कंबिनेशन के रुप में दवा उपलब्ध है पर सरकारी हॉस्पिटल में कंबिनेशन के रुप में दवाएं नहीं उपलब्ध हैं उदाहरणार्थ जीरोडाल एस पी नामक एक दवा कॉम्बिनेशन के रुप में प्राइवेट औषधि केंद्र और प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र दोनों जगह मरीज को मिलती है पर सरकारी हॉस्पिटल में उस एक दवा के जगह तीन दवाएं ऐसीक्लॉफीनैक, पैरसीटामोल और सिराशपेपटीडेज़ अलग अलग लेनी पड़ती है। व्यथित होते हुए बोले कि किन्ही किन्ही मरीज को तो बिना कंबिनेशन की दस दस गोलियां देनी पड़ती हैं और फार्मेसिस्ट को मरीज को दवा खाने हेतु कई कई बार समझना पड़ता है तब सम्भवतः मरीज समझ पता है जबकि उन्हीं दस गोलियों के जगह प्राइवेट/प्रधान मंत्री जन औषधि केंद्र पर कॉम्बिनेशन में तीन गोलियों से ही काम चलता है। बोले कि एक ओर जहाँ मरीजों की संख्या और कंबिनेशन के आभाव में सरकारी दवाओं की संख्या बढ़ती जा रही है वहीं सरकारी हॉस्पिटल में फार्मेसिस्टों की संख्या लगातार घटती जा रही है जबकि बेरोजगार रजिस्टर्ड फार्मेसिस्टों की भरमार है। बोले कि सरकारी सप्तालों में फार्मेसिस्ट का पद का मानक अभी भी अंग्रेजों के जमाने का ही है जबकि हॉस्पिटल में मरीजों और दवाओं की संख्या में लगातार वृद्धि होती जा रही है उस पर तुर्रा यह कि सृजित पदों पर भी पद खाली हैं उदाहरण देते हुए बोले कि जिला चिकित्सालय बलिया जैसे बड़े स्पताल में फार्मेसिस्ट और चीफ फार्मेसिस्ट के कुल दस पद स्वीकृत हैं जिनके सापेक्ष केवल पांच लोग ही कार्यरत हैं जिससे फार्मेसिस्ट संवर्ग पर वर्कलोड बढ़ता जा रहा है।

     व्यथित होते हुए बोले कि एक ओर सरकार समाज समानता का संदेश देती है, एक देश एक संविधान और एक चुनाव का संकल्प लेती है वहीं दूसरी ओर फर्मसिसटों के नियुक्ति में गैरबराबरी का सिद्धांत लागू करती है। विस्तार करते हुए बोले कि एक ही योग्यता वाले फार्मेसिस्ट जो नियमित नियुक्ति पर हैं उन्हें लगभग 40000 रूपये प्रति मास, संविदा पर 15000 से 20000 तो आउटसोर्सिंग-ठेका पर लगभग 7000 से 10000देती है। प्राइवेट मेडिकल स्टोर पर काम करने वाले फर्मसिस्टो के लिए कोई नियम नहीं वहाँ तो 3000 से 5000ही मिलते हैं। समझ में नहीं आता कि सरकार तमाम ट्रेनिंग स्कलों को खोलने का लाइसेंस जारी करती है वहीं ट्रेंड फार्मेसिस्ट को वेरोजगार बनती जा रही है।

        अटेवा (आल टीचर्स एम्प्लोयीज वेलफेयर एसोसिएशन) बलिया के जिला संगठन मंत्री के रुप में बोले कि पुरानी पेंशन बहाल करने और कर्मचारियों की नियुक्ति में निजीकरण (संविदा ठेका और आउटसोर्सिंग) बंद कर नियमित नियुक्ति करने तक कर्मचारियों का आंदोलन जारी रहेगा। बोले कि आगामी 01 मई 2025 को दिल्ली के जंतर मंतर पर राष्ट्रव्यापी धरना प्रदर्शन होने जा रहा है जिसमें बलिया के कर्मचारी भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेंगे। एक विशेष प्रश्न के उत्तर में बोले कि सरकार जब हमारे आंदोलनों के बाद भी ओ पी एस और नियमित भर्ती लागू नहीं करेगी तो कर्मचारी शिक्षक को एक मत होकर सरकार को ही बदलने के सिवाय दूसरा कोई विकल्प नहीं बचेगा। आगामी लोक सभा के चुनाव में हमारा नारा ही होगा वोट फॉर ओ पी एस एंड पररमानेंट एम्प्लॉयमेंट। जिन लोगों नें सदन में कर्मचारियों के लिए ओ पी एस समाप्त कर दिए वे लोग अपने लिए एन पी एस क्यों नहीं लागू करते। ज़रा सदन में भी परमानेंट एम पी और एम एल ए के साथ साथ संविदा पर एम पी, एम एल ए का चुनाव करने के साथ साथ परमानेंट आई ए एस -आई पी एस के साथ संविदा -ठेके पर आई ए एस और आई पी एस की नियुक्ति करें तब संविदा कर्मियों का दर्द समझ में आएगा।

       बताते चलें कि ग्राम मिढ्ढा थाना फेफना जनपद बलिया निवासी माता स्मृतिशेष रमावती पाण्डेय और पिता बी एन पाण्डेय के घर जन्मे मलय पाण्डेय को कर्मचारी राजनीति विरासत में मिली हुई है। इनके पिता बी एन पाण्डेय एन एम ए संघ उत्तर प्रदेश के क्रन्तिकारी प्रांतीय अध्यक्ष रहे हैं। मलय पाण्डेय तो टी डी कालेज बलिया में बी एस सी के दौरान 1996_1998में ही छात्र राजनीति को प्रभावित करने लगे थे। एल एल आर एम मेडिकल कालेज मेरठ से 2002बैच के डिप्लोमा फार्मेसिस्ट पाण्डेय की प्रथम नियुक्ति नया प्रा. स्वा. केंद्र सुखपुरा बलिया में हुई और 2021 से लगातार डी पी ए बलिया के जिलाध्यक्ष हैं। सर्विस में आने के पूर्व एम आर संघ बलिया के भी जिलाध्यक्ष रहे हैं।

       आशा करते हैं कि मलय पाण्डेय अपनी विशेष शैली के जरिये डी पी ए बलिया के जिलाध्यक्ष और अटेवा बलिया के जिला संगठन मंत्री के रुप में कर्मचारियों के समस्यावों के समाधान हेतु प्रभावी भूमिका निभाने में सक्षम होंगे। रिपोर्ट - परमात्मा नन्द सिंह 151173894



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