भारत की स्वतंत्रता के लिए हुए पहले संग्राम में ऐतिहासिक इबारत लिखने वाले रुईया के राजा नरपति सिंह के शौर्य दिवस पर कल मुख्यमंत्री आएंगे। निश्चित रूप से आजादी के महान योद्धा राजा नरपति सिंह की वीरता पर चर्चा होगी। अफसोस यह कि राजा नरपति सिंह के नाम पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का कोई संरक्षित स्थल नहीं है, लेकिन रुईया से चार किलोमीटर दूर राजा नरपति सिंह के हाथों मारे गए अंग्रेेजी सेना के ब्रिगेडियर एड्रियन होप की कब्र संरक्षित स्मारक है। इसी वजह से इसकी सुरक्षा का भी विशेष ध्यान रखा जाता है। वर्ष 1857 में अंंग्रेजों के खिलाफ पहली बार भारत में क्रांति हुई थी। इस क्रांति में रुईया के राजा नरपति सिंह रैकवाड़ की बड़ी भूमिका थी। राजा नरपति सिंह और उनकी सेना से निपटने के लिए उन दिनों का जिला मुख्यालय रहा मल्लावां में महारानी विक्टोरिया के ममेरे भाई ब्रिगेडियर एड्रियन होप, लेफ्टिनेंट डगलस, कर्नल हडसन, जरनल बालहोल के नेतृत्व में अंग्रेजों की सेना आई।
दोनों सेनाओं में जंग हुई और राजा नरपति सिंह ने महारानी विक्टोरिया के ममेरे भाई ब्रिगेडियर एड्रियन होप समेत पांचों लेफ्टिनेंटों को मार गिराया। इन सभी की कब्र माधौगंज में चिकित्सालय के पीछे बनी है। आजादी के दीवानों से लड़कर मुंह की खाने वाले अंग्रेजी सेना के अफसरों की कब्रों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने संभाल रखी है। जनपद में कुल 13 संरक्षित स्थल हैं। इनकी निगरानी के लिए स्मारक परिचर भी तैनात हैं।
संरक्षित स्मारक पर रहती यह पाबंदियां
स्मारक के आसपास का स्थल संरक्षित क्षेत्र होता है। कोई निर्माण नहीं कराया जा सकता।
संरक्षित क्षेत्र के पास निषिद्ध क्षेत्र (प्रोहिबिटेड एरिया) 100 मीटर तक चारों तरफ होता है।
इसके 200 मीटर बाहर चारों तरफ विनियमित क्षेत्र होता है। यहां अनुमति के बाद निर्माण कार्य कराया जा सकता है।
सौ वर्ष से अधिक पुराना हो तब होता संरक्षित स्मारक
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से जुड़े कंजर्वेशन असिस्टेंट रामवृक्ष यादव बताते हैं कि संरक्षित स्मारक घोषित किए जाने की प्रक्रिया अलग है। कम से कम 100 वर्ष पुराना स्थान संरक्षित स्मारक घोषित किया जा सकता है, लेकिन इसका महत्व और पौराणिकता भी इस स्तर की होनी चाहिए। राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक अलग-अलग स्तर पर जांच होने के बाद यह घोषणा की जाती है।
यह हैं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षित स्थल
माधौगंज में मेमोरियल सिमेट्री (स्मारक) (ब्रिगेडियर होप समेत कुछ अंग्रेजों की कब्रें) ।
सदर जहां पिहानी।
नवाब दिलेर खां का मकबरा शाहाबाद।
पाली में गर्रा किनारे टीला।
पहुंचनाखेड़ा स्थित टीला।
मेजर रॉबर्ट्स टॉम्ब बारामऊ दहेलिया।
खसौरा में दो अंग्रेज बच्चों का स्मारक।
फूलमती मंदिर सांडी।
खेरवा में विंध्वासिनी देवी मंदिर टीला।
मल्लावां में मकदूम शाह के मकबरे के पास कुआं।
हरदोई में सांडी रोड पर ऊंचा टीला।
गोनी गोड़वा शिव मंदिर।
किलो किन्हौर शिव मंदिर।
हमारे गौरव राजा नरपति सिंह रैकवाड़ हैं। उनकी जन्मस्थली को पर्यटनस्थल के रूप में वृहद स्तर पर विकसित किया जाना चाहिए। ब्रिगेडियर एड्रियन होप और उनके साथियों की कब्रें गुलामी की निशानी हैं। इन्हें एएसआई के संरक्षित स्थल की सूची से हटाना चाहिए। मुख्यमंंत्री से इस बारे में आग्रह करेंगे कि संरक्षित स्थलों पर पुनर्विचार किया जाए।