फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया
करीब दो दशक पहले सोने चांदी के काम को तंग गली की दुकान से निकालकर शोरूम कल्चर में ढालने वाले विशाल गुप्ता यूं तो कारोबारी परिवार में ही पैदा हुए थे। लेकिन उन्होंने पुराने कारोबार को वक्त के साथ बदला और नए कलेवर में ढाला।
अलीगढ़ शहर के सवा सौ वर्ष पुराने राधेश्याम-पन्नालाल सराफा परिवार से ताल्लुक रखने वाले विशाल गुप्ता ने वर्ष 2007 में रेलवे रोड पर आरएस प्लाजा में सराफा शोरूम खोला, जिसमें आभूषण बनाने की नई तकनीक, मशीनों के साथ पुरानी कारीगरी को भी जीवित रखा।
कानून की पढ़ाई भी की
मैरिस रोड स्थित मेंडू कंपाउंड में रहने वाले विशाल का जन्म 1979 में बनियापाड़ा में हुआ। उनकी 12वीं तक की शिक्षा वार्ष्णेय कॉलेज और एलएलबी की शिक्षा धर्म समाज कॉलेज से हुई। इसके बाद विशाल ने वर्ष 2000 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से जैम परीक्षण का अध्ययन पूरा किया।
मां की प्रेरणा से शुरू किया कारोबार
विशाल के दादा की फूल चौक पर पन्नालाल राधेश्याम सराफ के नाम से दुकान थी। पढ़ाई पूरी करने के बाद विशाल सोचते थे कि सदियों पुराने कारोबार को नए जमाने और बदली जरूरतों के साथ कैसे ढाला जाए। इसी विचार ने विशाल को आधुनिक आभूषणों का शोरूम खोलने के लिए प्रेरित किया। वर्ष 2007 में सपना पूरा हुआ और मां स्वर्गीय मालती देवी की प्रेरणा से खुद का शोरूम शुरू किया।
नई पीढ़ी जुड़ रही कारोबार से
विशाल गुप्ता के परिवार में पिता रोहताश कुमार, पत्नी अंकिता वार्ष्णेय, बेटी अन्वेषा गुप्ता और बेटे अविरल गुप्ता हैं। साथ में बड़े भाई पवन कुमार गुप्ता और उनका बेटा मितांशु गुप्ता भी व्यापार में सहयोगी हैं। यह कारोबार में नई तकनीक, आभूषण बनाने का तरीका, नक्काशी, लाइटवेट और हॉल मार्क एचयूआईडी आदि का समावेश कर रहे हैं। विशाल भी अपने कारोबार की कमान धीरे-धीरे युवा हाथों को सौंप रहे हैं।
