फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया
तेल व गैस नियामक पीएनजीआरबी ने नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए उपभोक्ताओं तक गैस पहुंचाने वाली पाइपलाइनों के लिए शुल्क निर्धारण की नई नीति का प्रस्ताव रखा है। अगर यह प्रस्ताव अमल में आता है तो इससे सीएनजी और पीएनजी की कीमतों में नरमी दिख सकती है। नियामक ने घरों में सीएनजी और पाइप के जरिए रसोई गैस बेचने वाली शहरी गैस इकाइयों से न्यूनतम दर पर शुल्क वसूलने का प्रस्ताव दिया है। पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस विनियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) ने प्राकृतिक गैस को इसके उत्पादन वाले क्षेत्रों से या आयात बंदरगाहों से ले जाने वाली पाइपलाइनों पर लगाए गए क्षेत्रीय शुल्कों में परिवर्तन के लिए एक सार्वजनिक परामर्श दस्तावेज जारी किया है। यह बदलाव उन संयंत्रों के लिए किया गया है जो इससे बिजली बनाते हैं। इसके अलावे इसका असर उन उर्वरक इकाइयों पर पड़ेगा जो इससे यूरिया बनाती हैं। इसके अलावे इससे वे शहरी गैस इकाइयां भी इससे प्रभावित होंगे जो इसे ऑटोमोबाइल को बेचने के लिए सीएनजी में बदल देती हैं और खाना पकाने के लिए इसे घरेलू रसोई तक पहुंचाती हैं।
नियामक ने कहा, "निवेश लाने और देश में विशेष रूप से सीएनजी और घरेलू पाइप्ड प्राकृतिक गैस (खाना पकाने के लिए घरेलू रसोई में इस्तेमाल होने वाली) में गैस की खपत बढ़ाने के लिए एक और दूरगामी सुधार में, पीएनजीआरबी घरेलू उपभोक्ताओं और परिवहन में इस्तेमाल होने वाली पाइप्ड प्राकृतिक गैस की कीमत कम करने का प्रस्ताव लेकर आया है।" टैरिफ विनियमन के विभिन्न पहलुओं पर हितधारकों से टिप्पणियां प्राप्त करने के लिए एक सार्वजनिक परामर्श दस्तावेज (पीसीडी) वेबहोस्ट किया गया है। इसके तहत एकीकृत टैरिफ जोन को तीन से घटाकर दो करने का प्रस्ताव रखा गया है। पीएनजीआरबी प्राकृतिक गैस पाइपलाइनों के लिए ट्रांसमिशन शुल्कों को नियंत्रित करता है। इन्हें नियोजित पूंजी पर 12 प्रतिशत मानक रिटर्न प्रदान करने के लिए तय किया जाता है। ये शुल्क, पारंपरिक रूप से, पाइपलाइन की लंबाई के साथ विभाजित किए जाते थे और गैस स्रोत से दूर जाने पर बढ़ाए जाते थे। इसके परिणामस्वरूप स्रोत से अधिक दूरी पर स्थित उपभोक्ताओं को अधिक शुल्क चुकाना पड़ता था। प्राकृतिक गैस के मूल्य निर्धारण में दूरी से संबंधित अव्यवस्था को हल करने के लिए, प्राकृतिक गैस ग्रिड से जुड़े सभी उपभोक्ताओं के लिए एक एकीकृत टैरिफ नवंबर 2020 में प्रस्तावित किया गया था और 1 अप्रैल, 2023 से लागू किया गया था।
