फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया
भारत में खपत लगातार बढ़ रही है। देश की कुल जीडीपी में 56 फीसदी का योगदान देने वाला यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसकी वृद्धि की रफ्तार सबसे तेज है। इसके दम पर भारत जल्द ही प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ दुनिया की खपत राजधानी बन जाएगा। एंजल वन और आइकॉनिक एसेट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते उपभोक्ता आधार की वजह से भारत में खपत 2034 तक बढ़कर दोगुनी हो जाएगी। इसमें एकल परिवार के चलन की महत्वपूर्ण भूमिका है, जिसकी वजह से भारत में घरेलू विकास जनसंख्या वृद्धि से आगे निकल रहा है और यह बढ़ती खपत का प्रमुख चालक बनकर उभर रहा है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में टैक्स के मोर्चे पर करदाताओं को दी राहत से एक लाख करोड़ रुपये प्राप्त होंगे, जिससे 3.3 लाख करोड़ रुपये की वृद्धिशील खपत को बढ़ावा मिलेगा। इसमें भारतीय जीडीपी को एक फीसदी तक बढ़ाने की क्षमता है।
अगले 25 साल में होगी 10 गुना अधिक बचत
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अगले 25 वर्षों में पिछले 25 साल की तुलना में 10 गुना अधिक बचत होने की उम्मीद है। 1996-97 से 2022-23 के बीच भारत की कुल बचत 12 लाख करोड़ डॉलर थी, जो 2027 तक करीब 10 गुना बढ़कर 103 लाख करोड़ डॉलर पहुंच जाएगी। इससे वृद्धिशील उपभोग की व्यापक संभावनाएं खुलेंगी।
खास बात है कि सरकार की नीतियों से भारत वैश्विक कार्यबल वृद्धि में भी अग्रणी बनने के लिए तैयार है।
उपभोग के मोर्चे पर अमेरिका-चीन की राह पर चलने को देश तैयार
एंजल वन एवं आइकॉनिक एसेट ने अपनी रिपोर्ट में कहा, आर्थिक और आय विस्तार के दौरान अमेरिका व चीन दोनों देशों में गैर-विवेकाधीन खर्च की तुलना में विवेकाधीन उपभोग अधिक रहा। भारत भी अब इसी राह पर चलने के लिए तैयार है।
प्रति व्यक्ति आय में मजबूत वृद्धि के दौर में अमेरिका में उपभोग खर्च में 10 गुना की वृद्धि हुई। प्रति व्यक्ति आय बढ़ने के साथ भारत में भी उपभोग खर्च में ऐसी ही बढ़ोतरी देखे जाने की उम्मीद है।
रिपोर्ट की अन्य खास बातें...
विवेकाधीन उपभोग में उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, परिधान, आभूषण और एसेसरीज तेजी से उभरने वाले सेगमेंट हैं।
92 फीसदी खुदरा व्यापार अब भी किराना स्टोर के जरिये होता है।
आधुनिक खुदरा व्यापार के लिए भी आगे बढ़ने और बाजार हिस्सेदारी हासिल करने का एक बड़ा अवसर है।
भारत में अमेरिका की कुल आबादी से अधिक जनरेशन जेड की संख्या हैं। 2035 तक खर्च किया जाने वाला हर दूसरा रुपया जनरेशन जेड की जेब से आएगा, जिससे खपत वृद्धि को जोरदार समर्थन मिलेगा।
वैश्विक खपत में होगा 16 फीसदी हिस्सा
दुनिया की कुल खपत में भारत की हिस्सेदारी 2050 तक बढ़कर 16 फीसदी पहुंच सकती है, जो 2023 में 9 फीसदी थी। मैकेंजी ग्लोबल इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक, 17 फीसदी हिस्सेदारी के साथ सिर्फ उत्तरी अमेरिका ही भारत से आगे होगा।
