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लुटियन की स्क्रिप्ट पर पंजाब में एक्शन, किसानों पर कार्रवाई दिल्ली की हार का साइड इफेक्ट तो नहीं
  • 151171416 - AKANKSHA DUBEY 0 0
    20 Mar 2025 17:59 PM



फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया 

पंजाब पुलिस ने शंभू और खनौरी बॉर्डर पर एक साल से ज्यादा समय तक धरना देने वाले किसानों को जबरन वहां से हटा दिया गया है। इस मामले पर सियासत भी शुरु हो गई है। किसानों को खदेड़े जाने के बाद कांग्रेस और भाजपा ने पंजाब की भगवंत मान सरकार पर हमला बोल दिया है। पंजाब के किसान नेता और कांग्रेस से जुड़े सियासतदन मानते हैं कि किसानों पर एक्शन के लिए नई दिल्ली के  'लुटियन' जोन में 'स्क्रिप्ट' लिखी गई थी। 'कीर्ति किसान यूनियन' की राज्य कमेटी के सदस्य रामिंद्र सिंह का कहना है कि हम चुप नहीं बैठेंगे। 26 मार्च को चंडीगढ़ के लिए कूच करेंगे। एसकेएम भी आंदोलन में साथ आए, इसके लिए बातचीत जारी है। किसान आंदोलन पर सियासतदान अपना फायदा देख रहे हैं। ये तय है कि किसानों पर हुई कार्रवाई से 'भाजपा' और 'आप' को राजनीतिक फायदा नहीं होगा। किसान नेता रामिंद्र सिंह ने कहा, हम तो इस कार्रवाई को 'आप' की दिल्ली में हुई हार का साइड इफेक्ट कहेंगे। जब दिल्ली बॉर्डर पर किसान बैठे थे तो अरविंद केजरीवाल ने किसानों को अपना पूर्ण समर्थन दिया था। अब आम आदमी पार्टी की सरकार ने ही किसानों को पंजाब बॉर्डर से खदेड़ दिया है। पंजाब में पुलिस को खुली छूट दे दी गई है। इसका राजनीतिक नुकसान, आप को उठाना पड़ेगा। बतौर रामिंद्र सिंह, यह भी तय है कि भाजपा को इसका फायदा नहीं होगा। भले ही किसानों को खदेड़ने की स्क्रिप्ट दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के बीच लिखी गई हो। पंजाब के पूर्व सीएम और मौजूदा कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने भी ऐसी ही बात कही है। उन्होंने अपने बयान में कहा, भगवंत मान केंद्र की साजिश का शिकार हो गए हैं। भगवंत मान ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। वहीं पर किसान आंदोलन को खत्म करने की बड़ी साजिश रची गई। किसान नेता रमनदीप सिंह मान का कहना है, पंजाब में किसानों के साथ गलत हुआ है। सरकार ने इतने लंबे समय तक किसानों को क्यों धरना प्रदर्शन करने के लिए मजबूर किया। उनकी मांग क्यों नहीं मानी गई। केंद्र और राज्य सरकार मिलकर इस आंदोलन को शांतिपूर्वक तरीके से समाप्त करा सकते थे। किसान नेता सुखवंत सिंह टिल्लू ने कहा, भगवंत मान को किसानों की नाराजगी का खामियाजा भुगतना पड़ेगा। इंतजार खत्म: 400 दिन बाद खुला शंभू-अंबाला हाइवे... अब नहीं काटना पड़ेगा 20 किमी. का चक्कर, देखिये ताजा तस्वीरें रामिंद्र सिंह कहते हैं, भाजपा को इससे कोई फायदा नहीं होने वाला। हां, कांग्रेस को कुछ फायदा संभव है। मौजूदा समय में भाजपा का पंजाब के ग्रामीण क्षेत्र में जनाधार नहीं है। भगवंत मान, शाह के दबाव में आ गए हैं। यही वजह रही कि उन्होंने किसान मूवमेंट को कुचलने की साजिश रची। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की हार के बाद पंजाब में मान सरकार के व्यवहार में बदलाव देखा जा सकता है। पुलिस को छूट दी जा रही है। पिछले दिनों आर्मी के एक अफसर को किस तरह से पीटा गया, वह उदाहरण दुनिया के सामने है। नशे के कारोबारियों के ठिकानों पर बुल्डोजर चलाया जा रहा है। यह सब तो भाजपा राज में उत्तर प्रदेश में होता रहा है। इसे पंजाब में कौन लेकर आया है। गैंगस्टर के खिलाफ पंजाब पुलिस पुराने नेरेटिव पर काम कर रही है। पंजाब को खुली जेल में तबदील करने का प्रयास हो रहा है। हालांकि पंजाब पुलिस के इस एक्शन के खिलाफ 26 मार्च को किसान संगठनों ने चंडीगढ़ में प्रदर्शन करने की योजना बनाई है। उस दिन पंजाब विधानसभा में बजट पेश किया जाएगा। पंजाब में किसान आंदोलन को देश के दूसरे किसान संगठनों का समर्थन हासिल नहीं पाया, इस बाबत एसकेएम के वरिष्ठ सदस्य और ऑल इण्डिया किसान खेत मजदूर संगठन (एआईकेकेएमएस) के अध्यक्ष सत्यवान कहते हैं, खनौरी बार्डर पर पंजाब के किसान नेता एवं भाकियू सिद्धूरपुर के प्रांतीय प्रधान जगजीत सिंह डल्लेवाल ने लंबे समय तक आमरण अनशन किया। उन्होंने दिल्ली कूच की भी तैयारी की थी। जगजीत सिंह, जिस समूह के साथ हैं, उसी से मध्यप्रदेश के किसान नेता शिव कुमार काका भी रहे हैं। 'कक्का' अब एसकेएम के साथ नहीं हैं। उन्होंने अपना राष्ट्रीय किसान महासंघ बना लिया है। इसके अलावा उन्होंने एसकेएम 'नान पोलिटिक्ल' किसान संगठन भी बनाया है। कुछ राज्यों में इनके सहयोगी संगठन हैं। ऐसा सुनने में आया है कि किसी वक्त में शिव कुमार कक्का, आरएसएस के बहुत करीब रहे हैं। पूर्व सीएम शिवराज चौहान के साथ विधानसभा में सीट बंटवारे को लेकर उनके तल्लखी वाले संबंध, लोग भूले नहीं हैं। कक्का, 2022 में एसकेएम से अलग हो गए थे। सरकार के साथ उनकी नजदीकियां रही हैं। एसकेएम के एक अन्य किसान नेता बताते हैं, शंभू बॉर्डर पर बैठे किसानों से बातचीत के लिए केंद्रीय मंत्री, कई बार चंडीगढ़ पहुंचे थे। रामिंद्र सिंह ने बताया, किसान आंदोलन को लेकर लोगों में यह भावना पैदा कर दी गई कि ये हारी हुई मूवमेंट है। दल्लेवाल ने एसकेएम से बातचीत करने का प्रयास भी किया, लेकिन बात नहीं बन सकी। कुछ लोगों और सियासतदानों ने यह नेरेटिव बनाने का प्रयास किया कि ये किसान आंदोलन, एक मिलाजुला गेम है। एसकेएम के साथ 27 फरवरी को बातचीत हुई थी। एकजुटता के लिए ड्राफ्ट बनाया गया। तब एसकेएम की तरफ से कहा गया कि किसानों से जुड़े दूसरे संगठनों व फोरम से भी चर्चा करनी है। ऐसे में यह मामला खिंचता चला गया। पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री तरुणप्रीत सौंध ने कहा, किसानों पर पुलिस की कार्रवाई हुई है। हाईवे बंद होने से पंजाब को भारी नुकसान हो रहा था। पंजाब सरकार, किसानों के साथ खड़ी है। 

 

 

 



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