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विविधता की जरूरत: भारत और आसन्न आर्थिक खतरे
  • 151171416 - AKANKSHA DUBEY 0 0
    08 Mar 2025 19:01 PM



 फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया फरवरी में मासिक सेवा क्रय प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) के तेजी बढ़कर 59 पर पहुंच जाने से निवेशकों और नीति निर्माताओं को राहत मिली है। यह राहत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा चालू वित्त वर्ष की दिसंबर वाली तिमाही [वित्तीय वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही (क्यू3एफवाई25)] के लिए जारी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के विकास दर में हुई बढ़ोतरी के आंकड़ों के बाद मिली है। सेवा पीएमआई में हुए इस मजबूत सुधार से मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई में हुई गिरावट की भरपाई करने में मदद मिली है। सेवा पीएमआई जनवरी में 25 महीने के न्यूनतम स्तर 56.5 से ज्यादा हो गई है। फरवरी में मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई 14 महीने के न्यूनतम स्तर 56.3 पर आ गई थी। पीएमआई का 50 से ऊपर रहना विस्तार का संकेत देता है, जबकि इससे कम रहना संकुचन का सूचक होता है। एसएंडपी ग्लोबल द्वारा हर महीने 40 से ज्यादा देशों में किया जाने वाला पीएमआई सर्वेक्षण आर्थिक रफ्तार का एक प्रमुख संकेतक है। यह एक सकारात्मक तथ्य है कि 2010 से भारत के जीडीपी में लगभग 80 फीसदी का योगदान देने वाले मैन्यूफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्र विस्तार की स्थिति में बने हुए हैं। भारतीय बाजारों से पूंजी के बहिर्वाह के बावजूद यह दृढ़ता कायम है, जो यह दर्शाता है कि देश की आर्थिक बुनियाद मजबूत बनी हुई है। दीर्घकालिक आर्थिक मजबूती का एक और स्पष्ट संकेतक सेंसेक्स की तिमाही आय है। सेंसेक्स भारत का मानक (बेंचमार्क) सूचकांक है, जिसमें बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) की 30 सबसे मूल्यवान और सक्रिय रूप से कारोबार करने वाली कंपनियां शामिल हैं। वित्तीय वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही (क्यू3एफवाई25) के नतीजे लगभग सभी कंपनियों के शुद्ध लाभ में ठोस वृद्धि की ओर इशारा करते हैं।



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