फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने एक तमिल पत्रिका की वेबसाइट से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेकर बनाया गया एक कार्टून हटाने का निर्देश दिया है। यह निर्देश अनुचित है, और हो सकता है कि सामग्री हटाने के लिए निर्धारित आधारों के तहत न आता हो। विकटन समूह की सिर्फ ऑनलाइन उपलब्ध पत्रिका विकटन प्लस ने इस आदेश को चुनौती देने के लिए कानूनी कदम उठाने का निर्णय लिया है। इससे पहले सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के तहत गठित अंतर-विभागीय समिति के सामने हुई सुनवाई में, उसने इस सामग्री का बचाव किया था। इस कार्टून के खिलाफ मंत्रालय का कदम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की स्वतंत्रता, दोनों के खिलाफ है। यह कार्टून एक तीखी राजनीतिक टिप्पणी है क्योंकि इसने मोदी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदगी में जंजीरों में जकड़ा दिखाया। कुछ हलकों में यह आलोचना देखने को मिली कि अमेरिका से निर्वासित भारतीय अवैध आप्रवासियों के साथ खराब सलूक का विरोध करने में मोदी नाकाम रहे, और यह कार्टून उसी का जिक्र करता लगता है। विदेश नीति के किसी मुद्दे पर प्रधानमंत्री का रवैया कार्टून के जरिए प्रतीकात्मक आलोचना से परे नहीं हो सकता। और भी चिंता की बात यह है कि विकटन वेबसाइट को ही कुछ उपयोगकर्ताओं के लिए पहुंच से बाहर बना दिया गया है। यह वेब सेवा प्रदाताओं को अघोषित आदेशों या अनौपचारिक निर्देशों के आधार पर किया गया लगता है। सामग्री हटाने के लिए औपचारिक आदेश का प्रावधान कानून में है, लेकिन अगर स्थापित प्रक्रिया का सहारा लिये बिना वेबसाइट ब्लॉक करने की कोशिश की गयी तो इसका बचाव कर पाना बिल्कुल असंभव होगा। इस दावे से अभी तक इनकार नहीं किया गया है कि इस वेबसाइट को कुछ लोग 15 फरवरी से खोल नहीं पा रहे हैं। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69ए सरकार को “विदेशी राज्यों के साथ दोस्ताना संबंधों या लोक व्यवस्था के हित में, या कोई संज्ञेय अपराध होने के उकसावे को रोकने के लिए” जैसे विनिर्दिष्ट आधारों पर सामग्री रोकने की शक्ति देती है, लेकिन यह नहीं मालूम है कि इन आधारों में किसका इस्तेमाल किया गया है, क्योंकि आदेश गोपनीय है। वैधानिक शक्ति के इस्तेमाल में पारित किसी आदेश को गोपनीय कैसे माना जा सकता है, यह समझ से बाहर है। चाहे कोई भी दौर है, यहां तक कि इस वर्तमान दौर में जब आहत होना एक राष्ट्रीय शगल होने के साथ-साथ कई मुख्यमंत्रियों के लिए अपने निंदकों पर पुलिस कार्रवाई का कारण भी है, कार्टूनों को लिखित शब्दों से ज्यादा छूट हासिल होनी चाहिए। इस मामले में, यह संदेहपूर्ण है कि क्या कार्टून के जरिए राजनीतिक आलोचना को अमेरिका के साथ दोस्ताना संबंधों को प्रभावित करने वाला या लोक व्यवस्था को कमजोर बनाने वाला माना जा सकता है। केंद्र सरकार के लिए ब्लॉकिंग आदेश जल्द वापस लेना अच्छा होगा। किसी सामग्री को रोकने की शक्ति का इस्तेमाल बहुत संभाल कर किया जाना चाहिए। इसका इस्तेमाल मुख्यत: नफरती भाषण, हिंसा के लिए उकसावे और बाल पोर्नोग्राफी जैसी आपत्तिजनक सामग्री रोकने के लिए तो होना चाहिए, लेकिन किसी राजनीतिक मांग के आगे नतमस्तक होने में और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान किये बिना नहीं।
