वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश होने के बाद से ही इस बात की चर्चा शुरू हो गई थी कि सरकार नया इनकम टक्स बिल पेश किया जाएगा। गुरुवार को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बिल पेश भी कर दिया और इसे प्रवर समिति के पास भेजने का आग्रह किया।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शुक्रवार को निचले सदन की 31 सदस्यीय प्रवर समिति का गठन किया। कमेटी को संसद के अगले सत्र के पहले दिन तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी। इस बिल को बनाने में 150 अफसरों की कमेटी ने काफी मशक्कत की है।
क्यों पड़ी नये बिल की जरूरत?
नये आयकर बिल को लाने का उद्देश्य आयकर से जुड़े विवादों को कम करना है। मौजूदा इनकम टैक्स बिल 1961 में पारित किया गया था। यह 1 अप्रैल 1962 से प्रभावी हो गया था। लेकिन इसमें 65 बार में 4000 से ज्यादा संशोधन किए गए हैं।
बिल तैयार करने में कितना समय लगा?
नये इनकम टैक्स बिल को तैयार करने में 60 हजार से ज्यादा घंटे लगे। 150 अफसरों की टीम ने मिलकर इसे तैयार किया। इसके लिए 20,976 ऑनलाइन सुझाव मिले।
ITR फाइल करने में कैसे मिलेगी मदद?
नये बिल में वेतन संबंधी सभी प्रावधान एक ही जगह पर किए गए हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय अलग-अलग अध्याय का संदर्भ नहीं लेना पड़ेगा। अब ग्रेच्युटी, लीव इनकैशमेंट, पेंशन कम्प्यूटेशन और सेक्शन 10 की कटौती को सैलरी चैप्टर में ही लाया गया है।
नये बिल में टैक्स वर्ष का मतलब क्या?
नये इनकम टैक्स बिल में पिछले वर्ष और मूल्यांकन वर्ष की जगह टैक्स वर्ष का जिक्र किया गया है। इसमें टाइम और कैलकुलेशन उस वित्त वर्ष के हिसाब से होगा, जिसमें सैलरी पर टैक्स लगाया जाना है।
टीडीएस को लेकर क्या बदलाव?
नये बिल में टीडीएस और टीसीएस के प्रावधान को आसान बना दिया गया है। आयकर विभाग की बेवसाइट पर सेक्शन-वाइज मैपिंग उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे लोगों को कोई असुविधा न हो।
नये और पुराने अधिनियम में कितना फर्क?
मौजूदा आयकर अधिनियम सभी संशोधनों के बाद 1647 पेज का है, जबकि नये इनकम टैक्स बिल में केवल 622 पन्ने हैं। मौजूदा अधिनियम में 819 प्रभावी धाराएं हैं, जबकि नये बिल में 536 धाराएं हैं।
