फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने कहा कि अगर महंगाई का रुझान अनुकूल बना रहता है, तो अप्रैल तक रिजर्व बैंक (आरबीआई) ब्याज दरों में एक और कटौती कर सकता है। एसबीआई के मुताबिक, रिजर्व बैंक ने पिछले एक साल में महंगाई को काबू में करने और आर्थिक विकास को बनाए रखने के लिए अपनी नीति को मजबूती से लागू किया है। आरबीआई ने माना है कि खाद्य महंगाई एक महत्वपूर्ण वजह बनी हुई है, लेकिन इसके सकारात्मक संकेत भी मिल रहे हैं, जैसे कि खड़ी फसला का अच्छा उत्पादन और सब्जियों की कीमतों में कमी। हालांकि, मौसम में उतार-चढ़ाव जैसे जोखिम भी बने हुए हैं। आरबीआई की नीति में सबसे महत्वपूर्ण बिंदु यह था कि उसने महंगाई लक्ष्य निर्धारण में लचीलेपन (एफआईटी) पर जोर दिया। एफआईटी नियमों और निर्णयों का एक मिश्रण है, जो तय करता है कि महंगाई काबू में रहे और आर्थिक स्थितियों के आधार पर यह नीति बदलती रहे। केंद्रीय बैंक ने कहा कि सरकारी सुरक्षा पत्रों (गवर्नमेंट सिक्योरिटीज) के लिए अब नए समझौते किए जाएंगे, जिससे इनकी कीमत का सही अनुमान लगाना और इन्हें आसानी से खरीदना-बेचना संभव होगा। साथ ही, नकद के अलावा इनकी भौतिक रूप से इनकी अदला-बदली भी की जा सकेगी, जिससे बांड ट्रेडिंग और भी प्रभावी हो जाएगी। आरबीआई ने वित्तीय वर्ष 2025 के लिए महंगाई का अनुमान 4.8 फीसदी बरकरार रखा है, जबकि चौथी तिमाही में महंगाई 4.4 फीसदी तक रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2026 के महंगाई 4.2 फीसदी रहने का अनुमान है। इसको ध्यान में रखते हुए आरबीआई ने तरलता कवरेज अनुपात (एलसीआर), अपेक्षित ऋण हानि (ईसीएल) और प्रावधान दिशानिर्देशों के लिए मसौदा मानदंडों के क्रियान्वयन को टाल दिया है। ताकि इन नियमों को लागू करने से पहले उनका और अधिक मूल्यांकन किया जा सके। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने सर्वसम्मति से दो साल में पहली बार रेपो दर को 25 आधार अंकों से घटाकर 6.25 फीसदी कर दिया है। इसके अलावा, आरबीआई ने यह भी कहा क वह एक तटस्थ मौद्रिक नीति अपनाए रखेगा, ताकि महंगाई को लक्ष्य के अनुरूप बनाए रखते हुए आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जा सके।
