फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया सन 1948 में जब फिलिस्तीन के भीतर इजराइल राज्य का सृजन हुआ, तो उस जमीन के मूल निवासी 7,00,000 फिलिस्तीनी विस्थापित हुए। फिलिस्तीनी इस जबरन बेदखली को नकबा (विपत्ति) के रूप में याद करते हैं। साल 1967 के छह-दिवसीय युद्ध में और भी फिलिस्तीनी बेदखल हुए। कुछ गाजा गये, कुछ वेस्ट बैंक, जबकि बहुसंख्य लोग दूसरे देशों में भागे, जहां वे और उनके वंशज शरणार्थी हैं। एक के बाद एक हुई शांति वार्ताओं में, इजराइल ने उनके अपने घर लौटने के अधिकार को, जो एक मूल अधिकार है, सिरे से खारिज किया है। अब, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 23 लाख फिलिस्तीनियों को जबरन गाजा से बाहर स्थानांतरित करना चाहते हैं। इस भूमध्यसागरीय इन्क्लेव ने 15 महीनों तक अथक इजराइली बमबारी झेली है। ट्रम्प की योजना में फिलिस्तीनियों को पड़ोसी अरब देशों में स्थानांतरित करना, 360 वर्ग किलोमीटर की इस पट्टी, जिसे वह “नरककुंड” कहते हैं, को कब्जे में लेना और इसे ‘रिविएरा (सैर-सपाटे के लिए तटीय इलाका) ऑफ द मिडिल ईस्ट’ के रूप में विकसित करना शामिल है। वाशिंगटन डीसी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, जहां इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी थे, उन्होंने “अगर जरूरत हुई” तो गाजा में सैनिक भेजने की बात भी कही। व्हाइट हाउस ने बाद में दावा किया कि राष्ट्रपति का आशय फिलिस्तीनियों के अस्थायी स्थानांतरण से था। उसने यह भी साफ किया कि उन्होंने अमेरिकी सैनिक तैनात करने की प्रतिबद्धता नहीं जतायी है, लेकिन इस बात को दोबारा पुष्ट किया कि गाजा के लिए उनका “आउट-ऑफ-द-बॉक्स” (लीक से हटकर) प्रस्ताव गंभीर है। हालांकि, ट्रम्प की योजना में कम-से-कम तीन मूलभूत समस्याएं हैं। पहली, फिलिस्तीनी कोई साम्राज्यी मिल्कियत नहीं हैं जिन्हें इजराइल व अमेरिका अपनी मर्जी के मुताबिक बम से उड़ा दें या दूसरी जगह भेज दें। वे एक राष्ट्रीय पहचान वाले लोग हैं, जिनका सामूहिक इतिहास, वर्तमान और भविष्य फिलिस्तीनी जमीन से बंधा है। अथक इजराइली बमबारी के बावजूद, गाजा के फिलिस्तीनियों ने अपनी जमीन छोड़ने से इनकार किया है। अब ट्रम्प जिस चीज की पैरवी कर रहे हैं वह मूलत: जातीय सफाये, एक और नकबा का आह्वान है। दूसरी, अमेरिका के कई सहयोगियों सहित अरब देशों ने एक स्वर में ट्रम्प के प्रस्ताव को खारिज किया है। वे यह समझ रहे हैं कि जबरन हटाये गये फिलिस्तीनी कभी लौट नहीं पायेंगे। यहां तक कि सत्तावादी अरब शासकों को भी, अमेरिका पर अपनी निर्भरता के बावजूद, अपने लोगों की भावनाओं का ख्याल रखना होगा जो फिलिस्तीनी अधिकारों का जोरदार समर्थन करते हैं। तीसरी, गाजा के पुनर्निर्माण का ट्रम्प का विजन इजराइली धुर-दक्षिणपंथ के एजेंडे से बहुत मेल खाता है: इस जमीन पर यहूदी आबादकारों को बसाना। पहले ही निराशा में डूबी आबादी को यह और अलगाव में डाल देगा और पश्चिम एशिया में एक और टाइम बम लगा देगा। ट्रम्प को जातीय सफाये का अपना आह्वान छोड़ना होगा और इसकी जगह, गाजा में सफल संघर्षविराम सुनिश्चित करने के लिए अमेरिकी प्रभाव का इस्तेमाल करना होगा। अमेरिका को एक टिकाऊ और न्यायसंगत समाधान की दिशा में काम करना चाहिए – एक ऐसा समाधान जो फिलिस्तीनियों के अधिकारों को स्वीकार करता हो और इस क्षेत्र में शांति व स्थिरता के सिद्धांतों का समर्थन करता हो।
