फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया यूपी वाराणसी बीएचयू में सोमवार को 'पर्यावरण और सतत विकास अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन' में जुटे देश-विदेश के 250 वैज्ञानिकों ने माना कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) से क्लाईमेंट चेंज पर कंट्रोल किया जा सकता है। मलेशिया के यूनिवर्सिटी टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिक शिवदासन चेलीयापन ने स्वतंत्रता भवन सभागार के सीनेट हॉल में कहा कि वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट, नए उभरते प्रदूषकों की पहचान और पर्यावरण निगरानी में एआई का इस्तेमाल पर्यावरण के संकटों को कम करेगा। वैज्ञानिकों के शोधों ने उद्योगों से होने वाले प्रदूषण को कम के लिए कई लागत-प्रभावी समाधान दुनिया को दिया है। इटली से आईं डॉ. अंका माकोवेई ने कहा कि क्लाइमेंट सेंसेटिव एग्रो टेक्नोलॉजी पर रिसर्च चल रहा है। यदि किसी बीज को बोने से ज्यादा संसाधनों की खपत हो रही है, लेकिन उसकी जगह दूसरा बीज कम संसाधन में ज्यादा उपज दे रहा है, ऐसे बीजों की जानकारी लोकल स्तर पर नहीं है। डेटा मिल जाए तो संसाधनों को नुकसान होने से बचाया जा सकेगा। ये काम एआई से ही हो सकता है। फसल अनुकूलन, मृदा स्थिरता और जैव-तकनीकी नवाचारों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम किया जा सकता है।
रिसर्च बेस्ड पॉलिसी से रुक सकता है खतरा
मल्टी स्टेक होल्डर साझेदारी कर पर्यावरण संबंधी दिक्कतों को दूर करने पर सहमति बनी। ट्रस्ट फॉर रिसर्च इन इकोलॉजी एंड एनवायरनमेंट, बंगलूरू के डॉ. एकलव्य शर्मा ने कहा कि रिसर्च बेस्ड पॉलिसी बनाई जाए, इससे इकोसिस्टम के खतरों और क्लाइमेंट चेंज पर रोक लग सकती है। बताया कि नेचर बेस्ड सॉल्यू्शंस, भारत का परंपरागत ज्ञान, आधुनिक पर्यावरणीय विज्ञान के समावेश और स्थानीय समुदायों की भागीदारी को मजबूत करना पड़ेगा।
बीएचयू में चल रहा हाईटेक पर्यावरण अनुसंधान
आईईएसडी के कार्यक्रम में निदेशक प्रो. एएस रघुवंशी ने कहा कि बीएचयू में हाईटेक पर्यावरण अनुसंधान और कई तरह के रिसर्च किए जा रहे हैं। नीतियों को बनाने और वैज्ञानिक समाधान देने में संस्थानों की बड़ी भूमिका है। डीन प्रो. वीके मिश्रा ने कहा कि आज के समय में सतत विकास की महत्ता और वैश्विक पर्यावरणीय चुनौतियों के समाधान में शोध और शिक्षा के योगदान को बढ़ाना होगा। आयोजन सचिव डॉ. राजीव प्रताप सिंह, डॉ. विशाल प्रसाद, प्रो. पीके श्रीवास्तव और डॉ. प्रशांत के. श्रीवास्तव मौजूद रहे।
