फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शनिवार को मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का दूसरा बजट पेश करेंगी। इससे पहले शुक्रवार को संसद में पेश की गई बजट-पूर्व रिपोर्ट में भारत की आर्थिक विकास की बात पर जोर दिया गया। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत को अपने तेज़ आर्थिक विकास को बनाए रखने के लिए जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि वैश्विक स्तर पर विकासशील देशों के लिए जलवायु परिवर्तन के उपायों को फंड देने में कमी आ रही है, जिससे भारत को अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में मुश्किल हो सकती है।
बता दें कि भारत जलवायु परिवर्तन के लिए दुनिया का सातवां सबसे संवेदनशील देश है, और 2025 में होने वाली सीओपी30 सम्मेलन की तैयारी कर रहा है। इस सम्मेलन में पेरिस समझौते के तहत देशों को अपने जलवायु लक्ष्यों का अगला संस्करण पेश करना होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर जलवायु लक्ष्यों के लिए फंडिंग नहीं बढ़ी, तो भारत को अपने जलवायु योजनाओं को फिर से समायोजित करना पड़ सकता है।
सीओपी29 में उठाए कदमों पर सवाल
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि भारत का जलवायु अनुकूलन खर्च 2016 में जीडीपी के 3.7 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 5.6 प्रतिशत हो गया। इसके अलावा, रिपोर्ट ने सीओपी29 में उठाए गए कदमों पर भी सवाल उठाए, जिसमें 2030 तक 300 बिलियन डॉलर जुटाने का लक्ष्य रखा गया था, जो वास्तविक जरूरत के मुकाबले बहुत कम है।
साथ ही रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि विकसित देश अपने जलवायु लक्ष्यों से काफी पीछे हैं, और भारत को अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बढ़ाने, ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकियों और खनिजों के स्रोत को मजबूत करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। भारत ने 2070 तक शून्य उत्सर्जन लक्ष्य रखा है, और 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का सपना देखा है।
रिपोर्ट में इन बातों पर रहा फोकस
इसके साथ ही, रिपोर्ट में क्षेत्र-विशिष्ट जलवायु अनुकूलन उपायों की आवश्यकता और जलवायु-लचीला कृषि, बैटरी भंडारण अनुसंधान, और कार्बन कैप्चर तकनीकों में निवेश की बात भी कही गई है। इसके अलावा, भारत के LiFE मिशन की तारीफ की गई, जो पर्यावरण संरक्षण के लिए जन जागरूकता बढ़ाने पर जोर देता है, और इसे शिक्षा में शामिल करने का सुझाव भी दिया गया।
