फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया नवंबर 2024 के चुनाव में अपनी निर्णायक जीत के बाद रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रम्प ने संयुक्त राज्य अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली है। उन्होंने अपनी दूसरी पारी की शुरुआत कई कार्यकारी आदेशों, कार्रवाइयों और निर्देशों की झड़ी लगाते हुए की। उनके इन कदमों ने अगले चार वर्षों के दौरान उनके प्रशासन के नीतिगत एजेंडे की दिशा तय कर दी है। इनमें से महत्वपूर्ण हैं 2021 में यूएस कैपिटल में हुए दंगे में अपनी भूमिका के लिए मुकदमे का सामना कर रहे लोगों को जारी किए गए लगभग 1,600 क्षमादान, पेरिस जलवायु समझौते व विश्व स्वास्थ्य संगठन से संयुक्त राज्य अमेरिका का बाहर निकलना, अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन के तहत संरक्षित बिना दस्तावेज वाले प्रवासियों एवं अस्थायी वीजा पर रहने वाले लोगों के बच्चों के लिए जन्मजात नागरिकता की समाप्ति, ब्रिक्स के सदस्य देशों पर शत-प्रतिशत शुल्क का प्रस्ताव - ये दोनों ही प्रावधान भारतीयों को काफी प्रभावित कर सकते हैं - और 1 फरवरी से कनाडा एवं मैक्सिको पर 25 फीसदी शुल्क, मैक्सिको के साथ लगी अमेरिका की दक्षिणी सीमा पर राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा और अपने पूर्ववर्ती जो बाइडेन के 78 कार्यकारी आदेशों एवं ज्ञापनों को उलटना। ट्रम्प के शपथ ग्रहण समारोह में तकनीकी कंपनियों के मुखिया एलन मस्क, जेफ बेजोस, सुंदर पिचाई और मार्क जुकरबर्ग की हैसियत सबसे महत्वपूर्ण रही, जिससे इस बात की अटकलें तेज हो गईं कि क्या आने वाले प्रशासन में वाकई “कुलीनतंत्र” का रंग होगा; और अपशिष्ट एवं अक्षमताओं को कम करने से संबंधित नई सरकार के प्रयासों की अगुवाई करने वाले मस्क ने उपस्थित भीड़ को नाजी सलामी जैसा कुछ दिया। हालांकि, मौजूदा स्थिति में, इनमें से अधिकांश नहीं तो कुछ कार्यकारी आदेशों को कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा - 14वें संशोधन की नए सिरे से व्याख्या के प्रयास को पहले ही अदालत में चुनौती दी जा चुकी है। दूसरी बार के ट्रम्प के प्रशासन ने अपने नीतिगत एजेंडे के मुतल्लिक जो संदेश दिया है, वह स्वाभाविक रूप से डेमोक्रेटों के प्रगतिशील एजेंडे के बिल्कुल खिलाफ जान पड़ता है। काफी हद तक इसकी उम्मीद की जा सकती है क्योंकि अर्थव्यवस्था, आव्रजन और प्रजनन अधिकारों जैसे मसले पर दोनों दलों में काफी मतभेद है। फिर भी, पिछली रिपब्लिकन सरकारों ने अक्सर कांग्रेस और राज्य स्तर पर डेमोक्रेटिक सहयोगियों के साथ पुल बनाने की कोशिश की है, ताकि नीतिगत डिजाइन और संसाधनों के आवंटन के मसले पर गतिरोध और आंतरिक संघर्ष के जोखिम केबजाय प्रमुख नीतिगत मामलों में द्विदलीय सहमति हासिल की जा सके। इस दृष्टांत में, हालांकि, संघीय सरकार की तिहरी संरचना (ट्राइफेक्टा) और रूढ़िवादियों से भरी एक सहानुभूतिपूर्ण सुप्रीम कोर्ट का मतलब यह हो सकता है कि ट्रम्प की टीम को ट्रम्प के पहले कार्यकाल के बनिस्बत इस बार दूसरे पक्ष के समर्थन पर और भी कम भरोसा करने की जरूरत है। इसके अलावा, ट्रम्प अपनी चुनावी जीत की व्यापकता से उत्साहित होकर अपरंपरागत, यहां तक कि विचित्र, नीतिगत प्राथमिकताओं को प्रस्तावित एजेंडे में शामिल करने की इजाजत दे रहे हैं, जिसमें पनामा नहर का अधिग्रहण, ट्रांसजेंडर अधिकारों की मान्यता रद्द करना, ग्रीनलैंड पर कब्जा करने की योजना के साथ डेनमार्क को धमकी देना और कुछ देशों के लिए यात्रा संबंधी प्रतिबंध की संभावना जैसे विचार शामिल हैं। शायद अमेरिका को वही मिल रहा है जिसके लिए उसने वोट दिया था।
