संगम नगरी प्रयागराज में पूरी भव्यता के साथ महाकुंभ का आगाज हो चुका है। 13 जनवरी 2025 यानी सोमवार को महाकुंभ का प्रथम शाही स्नान है। पूरे महाकुंभ के दौरान 6 शाही स्नान होंगे। अब सवाल है कि आखिर कब-कब होंगे महाकुंभ के 6 शाही स्नान? आइए जानते हैं इस बारे में-हैं?
ग्वालियर से ज्योतिषाचार्य संजू शास्त्री संगम नगरी प्रयागराज में पूरी भव्यता के साथ महाकुंभ का आगाज हो चुका है। 13 जनवरी 2025 यानी सोमवार को महाकुंभ का प्रथम शाही स्नान है। संगम तट पर महीनेभर पहले से ही, दूधिया लाइट में बड़े-बड़े तंबू, नागा साधुओं का रेला, चिलम सुलगाते बाबा और कदम-कदम पर पुलिस की तैनाती है। कुंभ को दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक मेले में से एक माना जाता है। महाकुंभ का आयोजन प्रत्येक 12 वर्षों के अंतराल पर हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में होता है और इनमें प्रयागराज में लगने वाला महाकुंभ सबसे भव्य होता है। इस अद्वितीय धार्मिक उत्सव का हर कोई गवाह बनना चाहता है। इसलिए कुंभ मेले के दौरान संगम में स्नान करने के लिए देश-विदेश से लोगों का पहुंचना शुरू हो चुका है। पूरे महाकुंभ के दौरान 6 शाही स्नान होंगे।
महाकुंभ की शुरुआत पौष पूर्णिमा स्नान के साथ होती है, जोकि 13 जनवरी 2025 को है वहीं, महाशिवरात्रि के दिन 26 फरवरी 2024 को अंतिम स्नान के साथ कुंभ पर्व का समापन होगा। इस तरह से महाकुंभ 45 दिन तक चलता है, जिसकी भव्यता देखते ही बनती है।
महाकुंभ मेले पर बनेगा ये शुभ संयोग
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, महाकुंभ मेले पर रवि योग का निर्माण होने जा रहा है। इस दिन इस योग का निर्माण सुबह 7:15 बजे से होगा और सुबह 10:38 मिनट पर इसका समापन होगा। इसी दिन भद्रावास योग का भी संयोग बन रहा है। मान्यता है कि, इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करना विशेष फलदायी है।
महाकुंभ 2025 के 6 शाही स्नान
प्रथम शाही स्नान- 13 जनवरी 2025 (सोमवार)- पौष पूर्णिमादूसरा शाही स्नान- 14 जनवरी 2025 (मंगलवार)- मकर संक्रांतितीसरा शाही स्नान- 29 जनवरी 2025 (बुधवार)- मौनी अमावस्याचौथा शाही स्नान- 03 फरवरी 2025 (सोमवार)- वसंत पंचमीपांचवां शाही स्नान- 12 फरवरी 2025 (बुधवार)- माघी पूर्णिमाछठवां शाही स्नान- 26 फरवरी 2025 (बुधवार)- महाशिवरात्रि
महाकुंभ मेले का इतिहास
कुंभ मेला हिंदू पौराणिक कथा समुद्र मंथन से जुड़ा हुआ है। कथा के अनुसार, देवताओं और दानवों ने अमृत (अमरत्व का अमृत) प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया। इस अमृत की प्राप्ति के दौरान चार बूंदें भारत के चार स्थलों – प्रयागराज (इलाहाबाद), उज्जैन, नासिक और हरिद्वार में गिरीं. ये स्थान पवित्र हो गए और यहां कुंभ मेले का आयोजन शुरू हुआ। पौराणिक ग्रंथ पुराणों में कहा गया है कि कुंभ मेले के स्नान से आत्मा पवित्र होती है और जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है। रिपोर्ट - राजेश् शिवहरे कंट्री इंचार्ज मैगजीन 151168597