सिंगापुर भारत की तेज तरक्की में अपने लिए अवसर देख रहा है। सिंगापुर के 20 साल प्रधानमंत्री रहे ली सीन लूंग ने यह बात कही है। शनिवार को भारतीय कारोबारी समुदाय से मुलाकात के दौरान लूंग ने कहा कि 'भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारत में सिंगापुर की एक साख है और सभी भारतीय सरकारों के साथ हमारे बहुत अच्छे संबंध रहे हैं।' सिंगापुर मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व पीएम ने कहा कि सिंगापुर भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने, कौशल प्रशिक्षण और फिनटेक जैसे सेक्टर में सहयोग बढ़ाने को अवसर की तरह देख रहा है।
भारत के इन क्षेत्रों में निवेश पर विचार कर रहा सिंगापुरपूर्व पीएम ने कहा कि सिंगापुर भारत में स्वास्थ्य सेवाओं, डिजिटल और हरित ऊर्जा जैसे सेक्टर्स में भी निवेश के अवसर तलाश रहा है। ली ने भारत और सिंगापुर के बीच दो दशक पुराना सिंगापुर-भारत मुक्त व्यापार समझौते का भी जिक्र किया और कहा कि इससे दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश और यात्रा संबंधों को बढ़ावा देने में मदद मिली है। उन्होंने यह भी बताया कि सिंगापुर अपनी जनसंख्या और प्रतिभा पूल को बढ़ाने के लिए अप्रवासियों और विदेशी श्रमिकों पर बहुत अधिक निर्भर है। इसलिए, सिंगापुर आने वाले लोगों को 'बेहद संवेदनशीलता और सावधानी के साथ प्रबंधित किया जाना चाहिए, ताकि ये प्रवाह संतुलित और टिकाऊ रहे।'
सिंगापुर के विकास में भारतीयों के योगदान को सराहागौरतलब है कि सिंगापुर में भी प्रवासी और विदेशी श्रमिकों को लेकर स्थानीय लोगों में नाराजगी बढ़ रही है। सिंगापुर इंडियन डेवलपमेंट एसोसिएशन (सिंडा) और 14 अन्य भारतीय सामुदायिक संगठनों द्वारा आयोजित रात्रिभोज में भाषण देते हुए ली ने कहा, 'हमें कट्टर राष्ट्रवाद और विदेशी लोगों के प्रति नफरत के खिलाफ भी मजबूती से खड़ा होना चाहिए और नए लोगों को हमारे विस्तारित परिवार का हिस्सा बनने के लिए स्वागत करना चाहिए।' उन्होंने कहा कि यह एक सतत प्रक्रिया है जिसमें समय लगता है लेकिन धीरे-धीरे प्रवासी भी स्थानीय समुदाय में एकीकृत हो जाएंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि इसी तरह से सिंगापुर की पहचान को बनाए रखा जा सकता है और समृद्ध किया जा सकता है और एक ऐसा समेकित और समावेशी समाज बनाया जा सकता है जो दुनिया से जुड़ा हो, मजबूत हो और हमारी विविधता से विभाजित न हो। ली ने भारतीय समुदाय की प्रगति की भी सराहना की और कई क्षेत्रों में उनके उल्लेखनीय योगदान का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भले ही यह समुदाय छोटा हो, लेकिन इसने सिंगापुर के समाज में अहम भूमिका निभाई है और कई तरीकों से योगदान देने के लिए अन्य समुदायों के साथ काम किया है। सिंगापुर की 60 लाख की आबादी में भारतीय मूल के लोगों की संख्या लगभग नौ प्रतिशत है।