बांदा। लोक निर्माण विभाग के जेई और बाबू के बाईपास भूमि अधिग्रहण में किए गए घपले की जांच जिलाधिकारी ने एडीएम को सौंपी है। एडीएम ने जांच शुरू कर दी है। बसपा शासन काल में वर्ष 2008 में शहर में रिंग रोड के लिए भूमि का अधिग्रहण किया गया था। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे दुरेड़ी गांव निवासी रामसनेही सिंह की करीब साढ़े चार विस्वा जमीन से बाईपास होकर गुजरा है। बाईपास रोड के लिए भूमि अधिग्रहण से पहले उनका निधन हो गया था। पुत्र ज्ञान सिंह व उनका परिवार दूसरे जिले में रहता है। इस कारण उन्हें बाईपास में जमीन जाने की जानकारी नहीं हो सकी। पता चला तो जनवरी 2020 में रामसनेही के आश्रित प्रवीण सिंह ने जमीन की वरासत अपने नाम दर्ज कराई।कुछ दिनों के बाद पीडब्ल्यूडी के एई सुधीर कुमार, जेई सुशील कुमार व लिपिक विमल वर्मा उनके पास आए और भूमि अधिग्रहण के लिए जमीन की रजिस्ट्री कर मुआवजा लेने की बात कही। इसके बाद किसान के साथ जालसाजी कर लिपिक विमल वर्मा ने अपने भाई अनुज वर्मा और एई सुधीर ने यह जमीन विभाग के बजाए अपने नाम करा ली। बदले में प्रवीण को नौ लाख रुपये मुआवजा के नाम पर दिए। करीब एक वर्ष बाद एई सुधीर व अनुज वर्मा ने वही जमीन विभाग के नाम रजिस्ट्री कराई और सर्किल का चार गुना करीब दो बार में 43-43 लाख रुपये हजम कर लिया। प्रवीण सिंह ने सप्ताह भर पहले जिलाधिकारी व मंडलायुक्त को प्रार्थना पत्र देकर जालसाजी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने व सर्किट रेट से रुपये दिलाने की मांग की। डीएम ने जांच एडीएम राजेश कुमार को सौंपी। एडीएम ने आरोपी एई सुधीर कुमार, लिपिक विमल वर्मा और उनके भाई अनुज वर्मा सहित प्रवीण सिंह को साक्ष्यों के साथ तलब किया गया है। जांच अधिकारी एडीएम राजेश कुमार ने बताया कि जांच में दोषी पाए जाने पर एई और लिपिक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।