फ़ास्ट न्यूज़ इण्डिया कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने या बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL) हाई होने पर अक्सर दवाओं के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है। लोग हाई कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए दवा का सेवन करते हैं लेकिन ऐसी स्थिति में आपको तुरंत दवाओं की जरूरत नहीं है। स्थिति की गंभीरता के अनुसार आप प्राकृतिक तरीके से हाई कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते हैं और हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं। हाई कोलेस्ट्रॉल और एलडीएल (बैड कोलेस्ट्रॉल) को नियंत्रित करने के लिए प्राकृतिक तरीकों का पालन करना एक सुरक्षित और प्रभावी उपाय हो सकता है, खासकर जब स्थिति अत्यधिक गंभीर न हो। यहां बताया गया है कि आप कैसे जान सकते हैं कि कब दवा की जरूरत है और कब प्राकृतिक उपचार पर्याप्त होगा। लिपिड प्रोफाइल की जांच करें। इसमें तीन स्थिति होती हैं, जिसके आधार पर तय किया जा सकता है कि रोगी की दवा की जरूरत है या प्राकृतिक उपचार राहत दिलाने में सहायक है। पहला, ट्राइग्लिसराइड्स, दूसरा गुड कोलेस्ट्रॉल (HDL) और तीसरा ट्राइग्लिसराइड्स/एचडीएल का रेशियो।
- ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides): 150 mg/dL से कम होना चाहिए।
- HDL (गुड कोलेस्ट्रॉल): 40 mg/dL से अधिक (पुरुषों के लिए) और 50 mg/dL से अधिक (महिलाओं के लिए) होना चाहिए।
- LDL (बैड कोलेस्ट्रॉल): 100 mg/dL से कम रहना चाहिए।
ट्राइग्लिसराइड्स /HDL Ratio का महत्व
यदि ट्राइग्लिसराइड्स /HDL का रेशियो 1.5 से कम है, तो आपका हृदय स्वास्थ्य अच्छी है और दवा की आवश्यकता नहीं है। हालांकि रेशियो 1.5 से अधिक होने पर डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव की जरूरत होती है।
डाइट में बदलाव
ऐसी स्थिति में ओमेगा-3 फैटी एसिड का सेवन बढ़ाएं। इसके लिए अखरोट, अलसी के बीज (फ्लैक्स सीड्स), चिया सीड्स, मछली (सैल्मन, मैकेरल) खाएं।
हेल्दी फैट्स की पूर्ति के लिए नारियल का तेल, देसी घी और एवोकाडो का सेवन करें।
फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ में ओट्स, जई, ब्राउन राइस, फल और हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन किया जा सकता है।
एंटी-इंफ्लेमेटरी फूड्स:
अदरक, लहसुन, हल्दी और काली मिर्च का नियमित सेवन करें। ग्रीन टी और लेमन टी भी सूजन कम करने में मदद कर सकते हैं। प्रोसेस्ड फूड और ट्रांस फैट से बचें।
शारीरिक गतिविधि:
30 मिनट का रोजाना व्यायाम करें – वॉकिंग, योग या साइक्लिंग। हफ्ते में 4-5 दिन एक्टिव रहना आवश्यक है। साथ ही अतिरिक्त वजन को घटाएं क्योंकि मोटापा कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने का एक बड़ा कारण है।
तनाव प्रबंधन
तनाव मुक्त रहें। इसके लिए योगाभ्यास को जीवनशैली में शामिल करें। ध्यान और प्राणायाम भी असरदार हो सकता है।
कब दवा की जरूरत होती है?
- LDL यानी बैड कोलेस्ट्राल 190 mg/dL से अधिक होने पर।
- हृदय रोग का इतिहास होने पर या परिवार में किसी को कोरोनरी आर्टरी डिजीज होने पर।
- डायबिटीज या ब्लड प्रेशर की समस्या होने पर।
- अगर प्राकृतिक उपचार के 3-6 महीने बाद भी कोलेस्ट्रॉल में सुधार नहीं होता, तो डॉक्टर से परामर्श करें।