फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया अठारहवीं लोकसभा का शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर को इतिहास में सबसे कम उत्पादक और सर्वाधिक कटुतापूर्ण सत्रों में से एक के रूप में खत्म हुआ। अंतिम से एक दिन पहले, सरकार और विपक्ष के बीच टकराव हाथापाई में बदल गया, जिसके बाद बेतुके आरोपों और पुलिस रिपोर्टों का तमाशा सामने आया। विपक्ष ने राज्यसभा के सभापति और भारत के उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया, जिसे उप-सभापति ने खारिज कर दिया। कड़वाहट तब चरम पर पहुंच गयी जब विपक्ष ने गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बी.आर. आंबेडकर के जिक्र को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर हमले के हथियार में बदल दिया। शाह की असावधान टिप्पणियों को विपक्ष द्वारा संदर्भ से अलग करके देखा गया, जिसे यह उम्मीद के मुताबिक ही लगता है। आखिरकार, इससे पहले भाजपा ने कई दिनों तक संसद की कार्यवाही रोकने के लिए भारत-विरोधी ताकतों के साथ कांग्रेस पार्टी के कथित संबंध को लेकर हास्यास्पद आरोप लगाये थे। राज्यसभा में उत्पादकता 40 फीसदी रही, क्योंकि उसकी बैठक निर्धारित समय में से 43 घंटे 25 मिनट चली। लोकसभा ने अपने निर्धारित समय के 54.5 फीसदी में काम किया। भारतीय राजनीति में अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस की कथित दखलअंदाजी और अडाणी समूह के खिलाफ अमेरिकी सरकार की कार्रवाई जैसे मुद्दों को लेकर दोनों सदनों में सत्ता पक्ष और विपक्ष की ओर से विरोध देखने को मिला। इस सत्र में विधायी कामकाज के तहत 16 विधेयकों और वित्तीय कामकाज के तहत अनुपूरक अनुदानों के पहले बैच को रखा गया था। 16 विधेयकों में से सिर्फ एक विधेयक, भारतीय वायुयान विधेयक, 2024 (जो नागर विमानन क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है) दोनों सदनों से पारित हुआ। राज्यसभा ने बॉयलर विधेयक और तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) संशोधन विधेयक पारित किये। ये बड़ी भट्ठियों व बॉयलरों और पेट्रोलियम क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले औद्योगिक कानूनों में बड़ा बदलाव लाने वाले हैं। अनुदानों के लिए अनुपूरक मांगों के अंग के रूप में विनियोग विधेयकों के अलावा, लोकसभा ने बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, रेलवे (संशोधन) विधेयक और आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक पर चर्चा की और इन्हें पारित किया। चर्चा के दौरान विपक्षी सदस्यों ने सरकार से सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकिंग व्यवस्था की हिफाजत करने, रेल यात्रियों व कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित राज्यों के लिए धन आवंटन में पारदर्शिता लाने की मांग की। संविधान (एक सौ उनतीसवां संशोधन) विधेयक और केंद्रशासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक पेश किये गये और संसद की संयुक्त समिति को भेजे गये। इन विधेयकों का लक्ष्य देश में एक साथ चुनाव संभव बनाना है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत-चीन संबंधों को लेकर दोनों सदनों में बयान दिये। शीतकालीन सत्र ने संसदीय मानदंडों की तुरंत बहाली और राजनीतिक विरोधियों के बीच तर्क-वितर्क में बुनियादी शालीनता की जरूरत प्रदर्शित की।