फास्ट न्यूज इंडिया यूपी प्रतापगढ़। रामानुज आश्रम गीता जयंती धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर प्रात: काल भगवान श्रीमन्नारायण जो शालिग्राम में साक्षात विराजित है। आपका दूध दही घी मधु शक्कर तथा गंगाजल से अभिषेक किया गया। इसके पश्चात श्रीमद्भगवत गीता का पूजन अर्चन मंत्र के द्वारा करने के पश्चात धर्माचार्य ओमप्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुजदास ने कहा कि गीता जयंती एवं मोक्षदा एकादशी की बहुत-बहुत बधाई बहुत-बहुत मंगल कामनाएं। आज 5162वीं श्रीमद्भगवतगीता जयंती है। युधिष्ठिर संवत 5162, युगाब्द कलि संवत 5126 ,विक्रम संवत 2081 दिनांक 11 दिसंबर 2024 को आज मोक्षदा एकादशी है।आज ही के दिन 5162 वर्ष पूर्व रविवार को दिन में प्रात 9:20 पर कपि ध्वज रथ पर विराजमान नर के अवतार अर्जुन जब कुरुक्षेत्र के मैदान में मोहग्रस्त होकर अवसाद में पड़े थे। तब श्रीमन्नारायण के अवतार भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमदभगवद्गीता का संस्कृत में गायन करके उपदेश दिया था। श्रीमद्भगवत गीता परम कल्याण करने वाला महान ग्रंथ है। सनातन धर्म का प्राण है। मोह में पड़े अर्जुन को अपना विराट स्वरूप दिखाया परमात्मा जीव और संसार का वर्णन श्रीमद्भवतगीता में विविध प्रकार से हुआ है। भगवान श्री कृष्ण ने कहा मैं ही परम तत्व हूं। मेरे अतिरिक्त इस संसार में कोई दूसरा नहीं हैं। अर्जुन जो देवताओं की पूजा करता है वह देवताओं को प्राप्त होता है, जो पितरों की पूजा करता है वह पितरों को प्राप्त होता है,जो प्रेतों की पूजा करता है वह प्रेतत्व को प्राप्त होगा ,जो मेरी पूजा करेगा वह बैकुंठ लोक को प्राप्त करेगा।
कर्म की व्याख्या करते हुए भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कर्म करो फल की इच्छा मत रखो, जो मेरी शरण में आता है मैं उसके भार को अपने कंधे पर ढोता हूं। इसलिए हमें सदा भगवान श्रीमन्नारायण पर विश्वास रखना चाहिए, कि ठाकुर जी जो भी कुछ करेंगे सब अच्छा करेंगे। युद्ध के समय सर्वप्रथम धृतराष्ट्र ने संजय से पूछा हे संजय युद्ध का परिणाम क्या होगा संजय ने कहा जहां पर भगवान योगेश्वर श्रीकृष्ण तथा गांडीव धारी अर्जुन है वहीं पर श्री, विजय ,विभूति और अचल नीति है। ऐसा मेरा मत है। गीता से बड़ा कोई ग्रंथ नहीं है, देवों में जनार्दन श्रेष्ठ है, आयुध में सुदर्शन श्रेष्ठ है,गंगाजल से पवित्र कोई जल नहीं है ,वैष्णवों से बड़ा कोई महान नहीं है, सनातन धर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं है। मां बेल्हा देवी धाम में आप द्वारा श्रीमद्भगवत गीता की पुस्तकों का ब्राह्मणों को दान किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से आचार्य रामकृष्णाचार्य व्यास, आचार्य हरिशचंद्र मिश्रा, आचार्य दिव्यांशु महाराज, आचार्य कालिका प्रसाद मिश्रा प्रधान पुजारी काली मंदिर, आचार्य पद्माकर तिवारी, आचार्य सुरेंद्र कुमार पांडे लल्लन गुरु, आचार्य पारस , पंडित बृज बिहारी मिश्रा, आचार्य सोनू, आचार्य उमेश जी, आचार्य श्यामसुंदर, आचार्य राजमणि , नारायणी रामानुजदासी डॉक्टर अवंतिका पांडे, डॉ विवेक पांडे, डॉ अंकिता पांडे, विश्वम प्रकाश पांडे, इं पूजा पांडे सहित अनेक भक्तगण उपस्थित रहे। रिपोर्ट विशाल रावत डिस्ट्रिक ब्यूरो चीफ प्रतापगढ़ 151019049