फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया आर्थराइटिस को उम्र बढ़ने के साथ होने वाली समस्या के तौर पर जाना जाता है। हालांकि लाइफस्टाइल और आहार की गड़बड़ी के कारण अब 40 से कम उम्र के लोगों में भी जोड़ों और हड्डियों में दर्द और इसके कारण होने वाली दिक्कतें बढ़ती जा रही हैं। पर क्या आपको पता है कि सिर्फ वयस्क और बुजुर्ग ही नहीं, छोटे बच्चे भी इस समस्या का शिकार हो सकते हैं? 16 साल से कम आयु के बच्चों में ये दिक्कत बढ़ती देखी जा रही है। बच्चों में होने वाली गठिया की समस्या को जुवेनाइल इडियोपैथिक अर्थराइटिस (जेआईए) कहा जाता है। एक आंकड़े के अनुसार दुनियाभर में लगभग 3 मिलियन (30 लाख) बच्चों और वयस्कों को ये दिक्कत हो सकती है। इसमें जोड़ों में लगातार दर्द, सूजन और जकड़न बनी रहती है। कुछ बच्चों में ये लक्षण केवल कुछ महीनों तक ही दिखाई देते हैं, जबकि कई मामलों में ये समस्या लंबे समय तक भी बनी रह सकती है। तो अगर अब तक आप ये मानते आ रहे थे कि गठिया की समस्या सिर्फ उम्र बढ़ने के साथ ही होती है तो अब आपको सावधान हो जाने की जरूरत है।
बच्चों में गठिया की समस्या बच्चों में होने वाली गठिया की समस्या सर्दी के मौसम में अधिक प्रभावित करती है। हालांकि, सही निवारक उपायों और शुरुआती उपचार मिल जाए तो इसे नियंत्रित किया जा सकता है। अगर आपके बच्चे को भी अक्सर जोड़ों में दर्द, जकड़न या चलने में दिक्कत महसूस होती रहती है तो इसे बिल्कुल अनदेखा न करें।
कैसे जानें कि आपके बच्चे को भी ये दिक्कत?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि हो सकता है कि आपका बच्चा जोड़ों के दर्द को समझ न पाए या फिर इस बारे में सही से बता न पाए, लेकिन चलते वक्त अगर वह लंगड़ाता है, खासतौर पर सुबह उठने के बाद तो ये संकेत ठीक नहीं है। इसके अलावा जोड़ों में सूजन होना भी इस समस्या का आम लक्षण है।जेआईए की समस्या एक या दोनों जोड़ों को प्रभावित कर सकती है। दुनियाभर में किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि बच्चों में गठिया की दिक्कत लड़कियों में अधिक आम हैं।
जुवेनाइल इडियोपैथिक अर्थराइटिस की समस्या क्यों होती है?
अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि बच्चों में गठिया की समस्या तब होती है जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपनी ही कोशिकाओं और ऊतकों पर अटैक कर देती है, यानी कि ये एक ऑटोइम्यून डिजीज है। यह ज्ञात नहीं है कि ऐसा क्यों होता है, लेकिन आनुवंशिकता और पर्यावरण कारक इसमें भूमिका निभा सकते हैं।
बच्चों में गठिया के कारण कई गंभीर जटिलताएं भी हो सकती हैं। कुछ स्थितियों में ये आंखों में भी सूजन पैदा कर सकती है। अगर इस स्थिति का इलाज न किया जाए, तो इससे मोतियाबिंद, ग्लूकोमा यहां तक कि अंधापन भी हो सकता है। इसके अलावा गठिया की समस्या हड्डियों के विकास में भी बाधा डाल सकती है।
बच्चे को गठिया हो जाए तो क्या करें?
अगर आप बच्चे में गठिया के लक्षण महसूस करते हैं तो समय रहते डॉक्टर से मिलकर इसका निदान करा लें। डॉक्टर दर्द और सूजन को दूर करने, घुटनों की गति और शक्ति बनाए रखने और जटिलताओं को रोकने के लिए दवाओं और थेरेपी की सलाह दे सकते हैं। गंभीर स्थितियों में सर्जरी की भी आवश्यकता हो सकती है। अगर समय पर इलाज हो जाता है तो इससे भविष्य में होने वाली दिक्कतों को कम किया जा सकता है।
ऐसे बच्चों के लिए नियमित व्यायाम बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मांसपेशियों की ताकत और जोड़ों के लचीलेपन को बढ़ाने में मदद करती है। तैराकी एक बेहतरीन विकल्प है क्योंकि इससे जोड़ों पर कम से कम दबाव पड़ता है।