बरसाना मथुरा। मान मंदिर से 15 अक्टूबर को शुरू हुई राधा रानी ब्रजयात्रा 36 दिन तक ब्रज में भ्रमण करने के बाद मंगलवार को आनंद और उल्लास के साथ बरसाना लौटी। बरसाना में ब्रज यात्रियों का जगह-जगह पर पुष्प वर्षा और आरती उतार कर स्वागत किया गया। माताजी गौशाला पहुंचकर सभी यात्रियों ने अपने संकल्प का विसर्जन कर संत रमेश बाबा का आशीर्वाद लेकर अपने-अपने घरों के लिए वापसी की। हर वर्ष की तरह राधा रानी वार्षिक ब्रज यात्रा में 15 अक्टूबर को माता जी गौशाला में देश विदेश विदेश से हजारों की संख्या में आए ब्रज यात्रियों ने यात्रा का नियम संकल्प लिया। और उसके बाद ठाकुर बिहारी लाल के डोला के पीछे-पीछे 36 दिन तक ब्रज के गांव-गांव, वन-उपवन में जाकर राधा माधव की दिव्य लीला स्थलियो के दर्शन कर एक अद्भुत आनंद प्राप्त किया। यात्रा के दौरान संत नरसिंह दास महाराज, राधाकांत शास्त्री और भक्त शरण महाराज ने लीला स्थलियो की महिमा और महत्व से सभी ब्रज यात्रियों को अवगत कराया। इस दौरान 30 स्थानो पर यात्रा ने अपने पड़ाव डालने के बाद मंगलवार को हरि नाम संकीर्तन करते हुए काम वन से चलकर सभी ब्रजयात्री राधा रानी का जय घोष करते हुए बरसाना पहुंचे। बरसाना में जगह-जगह पर यात्रियों का भव्य स्वागत किया गया। स्वागत करने वालों में बरसाना के चेयरमैन प्रतिनिधि पदम फौजी, रसिक गोस्वामी, दान विहारी गोस्वामी, भाजपा नेता रणवीर ठाकुर आदि प्रमुख रहे। बरसाना से चलकर सभी यात्री राधा नाम की मस्ती में नाचते गाते चिकसोली, मानपुर होते हुए माताजी गौशाला पहुंचे। जहाँ ठाकुर बिहारी लाल का भव्य स्वागत व आरती उतारी गई। इसके उपरांत आचार्य महेश पंडित के निर्देशन में सभी यात्रियों ने अपने यात्रा के नियम संकल्प का विसर्जन किया। संकल्प विसर्जन के बाद सभी यात्रियों ने ठाकुर महान बिहारी लाल को प्रणाम कर रमेश बाबा महाराज से आशीर्वाद लिया। इस दौरान रमेश बाबा महाराज ने कहा कि 36 दिन तक सभी यात्री राधा माधव की दिव्य लीला भूमि में हरि नाम संकीर्तन करते हुए रहे हैं, अब सभी लोग बृजवासियों का प्रेम व राधा कृष्ण की भक्ति लेकर जाएं और उसे जीवन पर्यंत तक निभाते रहे। रमेश बाबा महाराज ने कहा कि बृजवासियों का प्रेम मिल गया तो समझो श्री कृष्ण की कृपा मिल गई। बृजवासियों के समान उदार कोई नहीं है। इसके बाद सभी यात्रियों ने एक दूसरे से गले लगा कर विदा ली। विदाई के समय वातावरण बड़ा ही मार्मिक हो उठा। दूर-दूर से आए यात्रियों की आंखों से अश्रु धारा रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। दिल्ली से आई साक्षी में बताया की 36 दिन इस माहौल में रहीं, अब जाने का मन ही नहीं हो रहा। यात्रा की अमिट छाप उनके मन में बस गई है। उड़ीसा से आई दमयंती महापात्रा कहना था की राधा गोविंद की कृपा से ये सुख मिला है, वो रमेश बाबा की जीवन भर ऋणी रहेगी। दीनबंधु दास ने बताया कि उनकी समर्थ नहीं थी, बावजूद इसके मान मंदिर के सभी प्रबंधक और सेवकों ने उनकी यात्रा संपूर्ण कर दी और घर जाने का किराया तक भी दिया। ऐसा उदाहरण विश्व में और कई नहीं हो सकता। अंत में यात्रा के प्रबंधक राधाकांत शास्त्री और सुनील सिंह बृजदास ने जाने अनजाने में द्वारा हुई गलतियों के लिए सभी ब्रज यात्रियों से यात्रा समिति की ओर से क्षमा याचना भी मांगी। इसी के साथ अगले वर्ष पुन:आने का निमंत्रण भी दिया। रिपोर्ट नन्द किशोर शर्मा 15170853