फ़ास्ट न्यूज़ इंडिया बढ़ती मांग और प्रसार को देखते हुए सौर ऊर्जा उत्पादन की लागत 2050 तक 40-60 प्रतिशत तक कम होने की संभावना है। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सौर ऊर्जा अपने प्रसार की संभावनाओं और और लागत प्रभावी होने के कारण एक ऐसे अक्षय ऊर्जा स्रोत के रूप में उभर रही है। यह स्थिति इसे वैश्विक ऊर्जा संक्रमण का केंद्र बनाती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि "सौर ऊर्जा के चौबीसों घंटे उत्पादन की लागत 2050 तक सभी प्रकार के स्रोतों की तुलना में 40 प्रतिशत से 60 प्रतिशत तक कम हो जाएगी और यह सौर ऊर्जा अपनाने की प्रगति को ट्रैक करने के लिए एक प्रमुख मीट्रिक के रूप में उभरेगी।रिपोर्ट में सौर ऊर्जा की क्षमता के बारे में भी बताया गया है, जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 25 प्रतिशत तक घटा सकती है। सौर ऊर्जा सदी के मध्य तक बिजली उत्पादन की लागत को 60 प्रतिशत तक कम कर सकती है। इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सौर ऊर्जा से अन्य ऊर्जा स्रोतों की तुलना में तीन से चार गुना अधिक हरित रोजगार सृजित होने की उम्मीद है। 2050 तक वैश्विक स्तर पर इसके जरिए 2.7 करोड़ सृजित होने का अनुमान है। ऐसा होने से महिलाओं और हाशिए पर पड़े समुदायों को भी लाभ होगा, जिससे समावेशी आर्थिक विकास को और बढ़ावा मिलेगा। रिपोर्ट के अनुसार, कम आय वाले देशों (एलआईसी) में, सौर ऊर्जा एक अरब से अधिक लोगों के बीच ऊर्जा पहुंच के अंतर को पाटने में मदद कर सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि "सौर ऊर्जा ग्रिड से जुड़े और विकेंद्रीकृत समाधानों की एक शृंखला के माध्यम से वैश्विक स्तर पर 1 अरब से अधिक लोगों तक ऊर्जा की पहुंच सुनिश्चित की जा सकती है। रिपोर्ट में लगभग 2.6 टेरावाट मौजूदा ऊर्जा परिसंपत्तियों को हरित ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए लक्षित नीतियों और तकनीकी हस्तक्षेप की आवश्यकता पर भी बल दिया गया है।